कृष्ण जन्माष्टमी 2026 – भगवान कृष्ण जन्म महोत्सव
तारीख़: ४ सितंबर २०२६
पूरी तारीख
४ सितंबर २०२६ रात ११:५७ बजे – ५ सितंबर २०२६ १२:४३ मध्यरात्रि
मुहूर्त समय भारत में
निशिता पूजा व कृष्ण जन्मोत्सव
4 सितंबर 2026 को कृष्ण जन्माष्टमी की निशिता पूजा रात्रि 11:57 से 12:43 बजे तक मनाई जाएगी, जो भगवान के जन्म काल के अनुसार है।
४ सितंबर २०२६ रात ११:५७ बजे – ५ सितंबर २०२६ १२:४३ मध्यरात्रि
दही हांडी उत्सव
अगले दिन, 5 सितंबर 2026 को दही-हांडी उत्सव में मानवीय पिरामिड बनाकर मटकी तोड़ी जाएगी, जो भगवान कृष्ण की बाल लीला का प्रतीक है।
५ सितंबर २०२६ सुबह १०:०० बजे – ५ सितंबर २०२६ शाम ५:०० बजे
परिचय
कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे गोकुलाष्टमी या कृष्णाष्टमी भी कहते हैं, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पर्व है। भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। भक्त रात्रि भर भजन, उपवास और रंगारंग उत्सवों के साथ भगवान का जन्मोत्सव मध्यरात्रि में मनाते हैं।
अन्य नाम
जन्माष्टमी, गोकुलाष्टमी, कृष्णाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्रीकृष्ण जयंती
पूजा विधि
- पूजा स्थली को फूलों व रंगोली से सजाएं।
- बाल गोपाल को झूले या पालने पर बैठाएं।
- तुलसी, माखन, मिष्ठान्न व ताजे फल चढ़ाएं।
- दीप प्रज्वलित करें, मंत्रोच्चार/आरती करें (रात १२ बजे)।
- जन्म समय पर झूला झुलाएं व प्रसाद बाँटें।
अनुष्ठान
- भक्त उपवास रखकर, मध्यरात्रि जन्मोत्सव के बाद ही व्रत खोलते हैं।
- घरों व मंदिरों को सजाया जाता है, बालक कृष्ण की खूबसूरत झूले पर स्थापित मूर्ति लगाई जाती है।
- रात १२ बजे निशिता पूजा, मंत्रोच्चार व श्रीकृष्ण जन्मकथा का पाठ होता है।
- 108 तुलसीदल, माखन, दूध-घी व मिष्ठान्न का भोग अर्पित किया जाता है।
- दही हांडी प्रतियोगिता, कृष्ण लीला, नृत्य-संगीत उत्सव आयोजित होते हैं।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- मथुरा-वृंदावन में रासलीला, झूलन उत्सव और भव्य शोभायात्राएं निकलती हैं।
- महाराष्ट्र में दही-हांडी व सड़क उत्सवों की धूम रहती है।
- दक्षिण भारत में कोलम (रंगोली), मक्खन के पात्र, और भक्तिमय भजन गाए जाते हैं।
- आईएसकेॉन मंदिरों में भजनों, नृत्य तथा मध्यरात्रि अभिषेक व विशेष उत्सव होते हैं।
इतिहास
धार्मिक ग्रंथों अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में देवकी व वासुदेव के पुत्र रूप में अत्याचारी कंस का अंत करने हेतु हुआ। बाल्यावस्था में गोकुल और वृंदावन में उनकी बाललीलाएँ भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। यह पर्व बुराई पर अच्छाई और प्रेम व करुणा के दिव्य आदर्श का प्रतीक है।
अतिरिक्त जानकारी
- कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू और वैश्णव संप्रदाय के लिए महत्वपूर्ण पर्व है।
- भक्त पूर्ण दिवस उपवास रखते हैं, मध्यरात्रि पूजन के बाद ही व्रत तोड़ते हैं।
- यह पर्व धर्म, प्रेम और भक्ति की विजय का प्रतीक है।
