ज्येष्ठ पूर्णिमा २०२६
तारीख़: 29 जून २०२६
पूरी तारीख
29 जून २०२६ सुबह ३:०९ बजे – 30 जून २०२६ सुबह ५:२९ बजे
मुहूर्त समय भारत में
वट सावित्री व्रत
विवाहित महिलाएं अपने पति के दीर्घायु के लिए व्रत और अनुष्ठान करती हैं।
29 जून २०२६ सुबह ३:०९ बजे – 30 जून २०२६ सुबह ५:२९ बजे
परिचय
ज्येष्ठ पूर्णिमा को पवित्र स्नान, व्रत और प्रार्थनाओं के साथ मनाया जाता है, विशेष रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति के दीर्घायु के लिए वट सावित्री व्रत करती हैं।
अन्य नाम
ज्येष्ठ पौर्णिमा, वट पूर्णिमा
पूजा विधि
- सूर्योदय पर पवित्र स्नान और शुद्धिकरण से शुरुआत।
- देवताओं को फूल, फल और मिठाई अर्पित करें।
- लंबी उम्र और समृद्धि के लिए पूजा और मंत्र जप।
- प्रसाद वितरण और सामूहिक प्रार्थना के साथ समाप्ति।
अनुष्ठान
- गंगाजमुना, गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान।
- विवाहित महिलाएं वट सावित्री व्रत करती हैं।
- पूर्वजों के मोक्ष के लिए तर्पण और दान करना।
- भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा अर्चना।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में विशेष रूप से मनाया जाता है।
- परिवारिक जुड़ाव और दीर्घायु अनुष्ठानों का केंद्र।
- पूर्वजो के सम्मान और धार्मिक अनुष्ठानों को बढ़ावा देता है।
इतिहास
यह दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा तथा पूर्वजों की तर्पण (जल अर्पण) के लिए धार्मिक महत्व रखता है।
अतिरिक्त जानकारी
- यह उत्सव व्रत, दान और आध्यात्मिक प्रार्थनाओं को प्रोत्साहित करता है।
- सामुदायिक मिलन और मंदिर कार्यक्रम सामाजिक संबद्धता को बढ़ावा देते हैं।
- दिनभर वेदिक मंत्रों और शास्त्रों का पाठ किया जाता है।
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