VividhGyan Logo

होली उत्सव 2026

तारीख़: ३ – ४ मार्च २०२६

पूरी तारीख

३ मार्च २०२६ शाम ६:२३ बजे ४ मार्च २०२६ शाम ६:०० बजे

मुहूर्त समय भारत में

  • होलिका दहन

    होलिका दहन होली से एक दिन पूर्व मनाया जाता है जो बुराई के विनाश और आत्मशुद्धि का प्रतीक है। होलिका दहन का मुहूर्त ३ मार्च २०२६ को शाम ६:२३ से ८:५१ बजे तक रहेगा।

    ३ मार्च २०२६ शाम ६:२३ बजे ३ मार्च २०२६ रात ८:५१ बजे

  • रंगवाली होली (धुलंडी)

    ४ मार्च २०२६ को पूरे भारत में प्रेम और एकता के प्रतीक के रूप में रंगों के साथ धुलंडी मनाई जाएगी।

    ४ मार्च २०२६ सुबह ६:०० बजे ४ मार्च २०२६ शाम ६:०० बजे

परिचय

होली रंगों और आनंद का पर्व है जो प्रेम, एकता और अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। यह फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है और वसंत ऋतु के आगमन पर हर्ष, रंग और सामाजिक मेलजोल का संदेश देता है।

अन्य नाम

रंगवाली होली, धुलंडी, फगवा, रंगों का त्योहार

पूजा विधि

  • होलिका दहन पर लकड़ी का चिता स्थापित करें जो होलिका की अग्नि का प्रतीक है।
  • अनाज, नारियल और पूजा सामग्री अग्नि में अर्पित करें और मंत्रों का जाप करें।
  • अग्नि की तीन परिक्रमा कर नकारात्मकता के नाश की प्रार्थना करें।
  • रंगवाली होली की सुबह कृष्ण जी या बड़ों के चरणों में रंग अर्पित करें।
  • गीत, संगीत और मिठाइयों के साथ प्रेम और आनंद का उत्सव मनाएं।

अनुष्ठान

  • होलिका दहन की अग्नि जलाकर अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक मनाया जाता है।
  • लोग नई फसल, नारियल और अन्न अग्नि में अर्पित करते हैं।
  • अगले दिन रंगवाली होली खेली जाती है जिसमें लोग रंग और गुलाल लगाकर आनंद मनाते हैं।
  • गुजिया और ठंडाई जैसी पारंपरिक मिठाइयाँ तैयार की जाती हैं।
  • दोस्तों और परिवारजनों से मिलकर रंग और शुभकामनाएँ दी जाती हैं।

क्षेत्रीय विशेषताएँ

  • मथुरा और वृंदावन में फूलों वाली होली और विधवा होली के भव्य आयोजन होते हैं।
  • बरसाना और नंदगांव में रंगवाली होली से एक सप्ताह पहले लठमार होली खेली जाती है।
  • उत्तर भारत के शहरों में अग्नि पूजन और रंगों का उत्सव हर्ष और भक्ति से मनाया जाता है।
  • पश्चिम बंगाल में यह पर्व ‘दोल पूर्णिमा’ के रूप में श्रीकृष्ण की आराधना और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है।

इतिहास

होली का इतिहास प्राचीन हिंदू कथाओं से जुड़ा है। भागवत पुराण के अनुसार, यह पर्व भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद की उस विजय का प्रतीक है जब राक्षसी होलिका आग में भस्म हो गई और प्रह्लाद सुरक्षित रहे। यह घटना भक्ति और सच्चाई की बुराई पर विजय का प्रतीक बन गई।

अतिरिक्त जानकारी

  • होली रंगों के माध्यम से एकता, क्षमा और सामाजिक सौहार्द का संदेश देती है।
  • यह पर्व रबी फसल की कटाई और वसंत के आगमन का प्रतीक है।
  • आजकल प्रकृति की रक्षा हेतु हर्बल रंगों और जल संरक्षण के साथ इको-फ्रेंडली होली मनाई जाती है।
भाषा बदलें: