हरतालिका तीज २०२६ – देवी पार्वती का व्रत व वैवाहिक सौहार्द का आशीर्वाद
तारीख़: १४ सितंबर २०२६
पूरी तारीख
१४ सितंबर २०२६ प्रातः लगभग ६:०५ बजे (मुहूर्त अनुमान) – १४ सितंबर २०२६ शाम/रात्रि (व्रत जारी)
मुहूर्त समय भारत में
गौरी कन्यादान एवं महिलाओं का पूजा-संगम
१४ सितंबर २०२६ को अनेक समुदायों में महिलाओं के समूह (संगम) आयोजित होते हैं जहाँ गौरी-शिव की सामूहिक पूजा होती है, पार्वती की तपस्या-व्रत-कथा सुनाई जाती है और व्रत-खोलने के बाद सामुदायिक दावत होती है।
१४ सितंबर २०२६ शाम (सूर्यास्त के बाद) – १४ सितंबर २०२६ रात/अगली सुबह जल्दी
परिचय
हरतालिका तीज भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। विवाहित महिलाएँ निर्जला व्रत रखती हैं, देवी पार्वती (गौरी) व भगवान शिव की पूजा करती हैं और सुख-शांत व दीर्घ वैवाहिक जीवन के लिए आशीर्वाद माँगती हैं।
अन्य नाम
होर्टालिका तीज, गौरी हब्बा, गौरी तीज
पूजा विधि
- पूजा-स्थान को स्वच्छ करें, फूल व दीपक से सजाएँ; भगवान शिव-पार्वती की छवि/प्रतिमा स्थापित करें।
- दीप जलाएँ, चन्दन, फूल, अगरबत्ती, मिठाई व फल अर्पित करें; विशेष रूप से देवी गौरी को दुल्हन रूप में पूजें।
- हरतालिका तीज व्रत कथा सुनें/पढ़ें श्रद्धा-भाव से; यदि परिवार परंपरा हो तो पवित्र धागा बांधें।
- शाम/रात में आरती करें, जागरण रखें, भजन-कीर्तन में भाग लें और दृढ़ भक्ति रखें।
- अगली सुबह शुभ मुहूर्त में व्रत तोड़ें और प्रसाद बाँटें; देवताओं का धन्यवाद करें व वैवाहिक प्रार्थना पुनः करें।
अनुष्ठान
- महिलाएँ जल्दी उठती हैं, सुंदर कपड़े पहनती हैं (अक्सर लाल या हरे), मेहँदी लगाती हैं, आभूषण पहनती हैं एवं व्रत शुरू करती हैं।
- मिट्टी या रेती से भगवान शिव-पार्वती (गौरी) व गणेश की मूर्तियाँ बनाती हैं, फूल, कुमकुम, चावल व मिठाइयाँ अर्पित करती हैं।
- घर या मंदिर में पूजा करती हैं — फूल, फल, मिठाई, धूप-दीप चढ़ाती हैं, महामंत्र या कथा का पाठ करती हैं।
- रात्रि में जागरण करती हैं, भजन गाती हैं और अपने पति (या भविष्य के पति) की दीर्घायु व कल्याण के लिए संवेदनशील रहती हैं।
- उपवास अगले सुबह सूर्योदय के बाद (या क्षेत्रीय परंपरा के अनुसार) खोला जाता है और प्रसाद को परिवार व पड़ोसियों में वितरित किया जाता है।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- उत्तर भारत में हरतालिका तीज विशेष रूप से लोकप्रिय है – उत्तर-प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड, उत्तराखंड व नेपाल में इसे बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है।
- गुजरात में इसे केवड़ा तीज कहा जाता है; कर्नाटक/आंध्र/तमिलनाडु में गौरी हब्बा के नाम से मनाया जाता है और अनुष्ठान थोड़ा-बहुत भिन्न हो सकता है।
- महाराष्ट्र में यह त्योहार विवाहित महिलाओं द्वारा पति की दीर्घायु व कल्याण और अविवाहित लड़कियों द्वारा अच्छे वर की कामना के लिए मनाया जाता है; हालांकि यह हरियाली तीज जितना व्यापक नहीं है।
इतिहास
किंवदंती के अनुसार, देवी पार्वती ने अपने पिता द्वारा निश्चित विवाह से बचने के लिए आलिका (मित्रा) का वेश धारा और अपने मित्रों द्वारा 'हरित' (अपहरण) करवाई गयी थीं, और उन्होंने भगवान शिव को पति बनाकर व्रत किया। इस व्रत एवं मिलन को स्मरण करने हेतु यह दिन होता है, यही कारण है नाम ‘हरतालिका’ (हरित + आलिका)। यह उत्सव भारत व नेपाल में वर्षों से मनाया आ रहा है।
अतिरिक्त जानकारी
- नाम ‘हरतालिका’ संस्कृत शब्दों ‘हरित’ (अपहरण) एवं ‘आलिका’ (मित्रा) से लिया गया है जो उस कथा को दर्शाता है जिसमें पार्वती को मित्रों द्वारा अपहरित किया गया था ताकि वह शिव से विवाह कर सकें।
- हालाँकि यह मुख्य रूप से महिलाओं का पर्व है, पर हरतालिका तीज का आध्यात्मिक अर्थ भक्ति, वैवाहिक जीवन की योग्यता व व्रत-शक्ति पर भी बल देता है।
- यदि आप क्षेत्र-विशिष्ट पृष्ठ बना रहे हैं तो निर्जला व्रत पर सलाह (उदाहरण के लिए हाइड्रेशन टिप्स) भी शामिल कर सकते हैं क्योंकि कई क्षेत्रों में यह व्रत बहुत कठोर होता है।
