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हनुमान जयंती उत्सव 2026

तारीख़: २ अप्रैल २०२६

पूरी तारीख

१ अप्रैल २०२६ सुबह ७:०८ बजे २ अप्रैल २०२६ सुबह ७:४४ बजे

मुहूर्त समय भारत में

  • प्रातः अभिषेक

    प्रातःकाल गंगाजल, दूध और सिंदूर से हनुमान जी का अभिषेक किया जाता है।

    २ अप्रैल २०२६ सुबह ६:०० बजे २ अप्रैल २०२६ सुबह ८:०० बजे

  • हनुमान चालीसा पाठ व भजन

    हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ और बजरंगबली की शक्ति, श्रद्धा एवं भक्ति का गुणगान करते हुए भजन।

    २ अप्रैल २०२६ सुबह १०:०० बजे २ अप्रैल २०२६ दोपहर १२:०० बजे

  • सायंकालीन आरती व प्रसाद

    सायंकाल आरती, हनुमान चालीसा पाठ और भक्तों में लड्डू प्रसाद का वितरण।

    २ अप्रैल २०२६ शाम ६:०० बजे २ अप्रैल २०२६ शाम ७:३० बजे

परिचय

हनुमान जयंती भगवान श्रीराम के परम भक्त भगवान हनुमान के जन्मदिन का पर्व है, जो अद्भुत शक्ति, निष्ठा और भक्ति के प्रतीक हैं। चैत्र पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह पर्व साहस, ऊर्जा और समर्पण की भावना का उत्सव है।

अन्य नाम

हनुमान जन्मोत्सव, अंजनेय जयंती, बजरंगबली जयंती

पूजा विधि

  • ‘ॐ हनुमते नमः’ मंत्र का जाप कर ध्यान लगाएँ।
  • हनुमान जी की मूर्ति को स्नान कराकर सिंदूर और चमेली के तेल का लेप करें।
  • भोग स्थल पर लाल फूल सजाएँ, घी का दीप जलाएँ और धूप जलाएँ।
  • भक्ति के अनुसार हनुमान चालीसा का 7, 11 या 108 बार पाठ करें।
  • लड्डू व केले का प्रसाद चढ़ाकर भक्तों में वितरित करें।

अनुष्ठान

  • भक्त प्रातःकाल स्नान कर लाल या केसरिया वस्त्र धारण करते हैं।
  • मंदिरों और घरों को गेंदे के फूलों से सजाया जाता है और हनुमान जी की मूर्ति पर घी और सिंदूर का अभिषेक किया जाता है।
  • भगवान हनुमान को सिंदूर, चमेली का तेल, लड्डू और केले का भोग लगाया जाता है।
  • भक्ति भाव से हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और रामायण का पाठ किया जाता है।
  • दिनभर उपवास रखकर सायंकाल आरती व भजन के पश्चात व्रत का पारायण किया जाता है।

क्षेत्रीय विशेषताएँ

  • अयोध्या, वाराणसी और चित्रकूट में विशेष शोभायात्रा और संगीत भजन के साथ भव्य हनुमान जयंती मनाई जाती है।
  • दिल्ली, जम्मू और हनुमानगढ़ी के मंदिरों में भक्त सिंदूर अर्पित करते हैं और 108 दीप जलाते हैं।
  • महाराष्ट्र में यह दिन राम भक्ति कार्यक्रमों और सुंदरकांड पाठ के साथ मनाया जाता है।
  • आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इस दिन से 41-दिवसीय हनुमान दीक्षा प्रारंभ होती है जो वैशाख कृष्णपक्ष दशमी तक चलती है।

इतिहास

शास्त्रों के अनुसार भगवान हनुमान का जन्म केशरी और अंजना के यहाँ वायु देव के आशीर्वाद से हुआ था। उन्हें भगवान शिव का 11वां रुद्र अवतार माना जाता है। रामायण में वर्णित उनकी भगवान श्रीराम के प्रति भक्ति उन्हें निस्वार्थ सेवा के आदर्श रूप में स्थापित करती है। वे शक्ति, विनम्रता और अटूट विश्वास के प्रतीक हैं।

अतिरिक्त जानकारी

  • भगवान हनुमान भक्ति और शक्ति के साकार रूप हैं; हनुमान जयंती पर साहस और श्रद्धा का आह्वान किया जाता है।
  • इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ भय, रोग और नकारात्मकता को दूर करता है।
  • हनुमान उपासना से आंतरिक शक्ति, विनम्रता और दिव्य संरक्षण प्राप्त होता है।
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