गोवर्धन पूजा २०२६
तारीख़: 10 नवंबर २०२६
पूरी तारीख
10 नवंबर २०२६ सुबह ६:०० बजे – 10 नवंबर २०२६ शाम ६:०० बजे
मुहूर्त समय भारत में
अन्नकूट अर्पण
कृतज्ञता और प्रचुरता के प्रतीक के रूप में अनेक प्रकार के शाकाहारी भोजन अर्पित करना।
10 नवंबर २०२६ सुबह ६:०० बजे – 10 नवंबर २०२६ शाम ४:०० बजे
परिचय
गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म में विशेष रूप से वैष्णव समुदायों के लिए महत्वपूर्ण है, जो भगवान कृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाने द्वारा दिव्य सुरक्षा का उत्सव मनाती है। यह प्रकृति और दिव्य कृपा के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है।
अन्य नाम
अन्नकूट, भोजन पर्व
पूजा विधि
- सुबह जल्दी पूजा और गोवर्धन टीले की तैयारी से शुरुआत।
- भोजन, फूल, और धूप अर्पित कर पूजा करें।
- कृष्ण भजन गायें और भागवत पुराण की कथा सुनाएं।
- प्रसाद वितरण के साथ समाप्ति।
अनुष्ठान
- गोवर्धन पर्वत का प्रतीक एक छोटी टीला गोबर या मिट्टी से बनाना।
- टीले को फूलों, अनाज और रंगीन порошकों से सजाना।
- भगवान कृष्ण को छप्पन भोग (56 प्रकार के शाकाहारी भोजन) अर्पित करना।
- दीप जलाना, भजन गायन और आरती करना।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- मुख्य रूप से ब्रज, मथुरा, वृंदावन और गुजरात में मनाया जाता है।
- वैष्णव समुदायों के लिए भक्ति और कृतज्ञता का महत्वपूर्ण उत्सव।
- प्रकृति, भोजन और दिव्य कृपा के संबंध को दर्शाता है।
इतिहास
यह त्योहार भागवत पुराण की कथा को याद करता है जिसमें भगवान कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से वृंदावन के ग्रामवासियों की रक्षा हेतु गोवर्धन पर्वत उठाया था, जो दिव्य सुरक्षा का प्रतीक है।
अतिरिक्त जानकारी
- गोवर्धन पूजा प्रकृति के प्रति सम्मान बढ़ाती है और पर्यावरणीय संतुलन को बढ़ावा देती है।
- यह त्योहार साझा भोजन और अनुष्ठान से सामुदायिक संबंध मजबूत करता है।
- भक्त सुरक्षा, समृद्धि और कल्याण के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
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