गणेश चतुर्थी 2026 – श्री गणेश जन्म, पूजा विधि और भव्य उत्सव
तारीख़: १४ सितंबर २०२६
पूरी तारीख
१४ सितंबर २०२६ सुबह ७:०६ बजे – १४ सितंबर २०२६ सुबह ७:४४ बजे (१५ सितंबर)
मुहूर्त समय भारत में
गणेश स्थापना व प्राणप्रतिष्ठा
गणेश स्थापना व प्राणप्रतिष्ठा का शुभ समय १४ सितंबर २०२६ सोमवार, मध्यान्ह मुहूर्त (११:०२ से १:३१ बजे) है।
१४ सितंबर २०२६ ११:०२ बजे – १४ सितंबर २०२६ १:३१ बजे
गणेश विसर्जन
अनंत चतुर्दशी (२५ सितंबर २०२६) पर गणेश प्रतिमा का भव्य विसर्जन जलाशयों में किया जाता है।
२५ सितंबर २०२६ ३:०० बजे – २५ सितंबर २०२६ ८:०० बजे
परिचय
गणेश चतुर्थी श्री गणेश जन्म का रंगारंग पर्व है, जो भारत में बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मिट्टी के गणपति की स्थापना, पूजा-पाठ और भव्य शोभायात्राएँ होती हैं, जिससे पारिवारिक सुख, समृद्धि और नए आरंभ का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
अन्य नाम
विनायक चतुर्थी, गणेशोत्सव, विनायक चविथि, गणपति पर्व
पूजा विधि
- लाल वस्त्र, फूल व दीप से पूजा स्थल सजाएँ।
- नई मिट्टी की मूर्ति रखकर मंत्रों से गणेश जी का आह्वान करें।
- २१ दूर्वा, २१ मोदक व नारियल अर्पित करें।
- कपूर से आरती करें और प्रसाद बाँटें।
- विसर्जन के दिन गणेश जी को पुनः आमंत्रण देने का संकल्प लेकर विदाई करें।
अनुष्ठान
- मध्यान काल में श्री गणेश की मूर्ति की स्थापना करें।
- षोडशोपचार पूजा (१६ विधियों) में फूल, धूप, फल और मिठाई चढ़ाएं।
- मोदक और दूर्वा घास से गणेश का भोग लगाएँ।
- गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ और प्रतिदिन आरती करें।
- दसवें दिन शोभायात्रा के साथ मूर्ति का विसर्जन करें।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- मुंबई के लल्ब augचा राजा समेत विशाल पंडाल व जुलूस मुख्य आकर्षण हैं।
- पुणे का दगड़ूशेठ गणपति व हैदराबाद का खैराताबाद गणेश प्रसिद्ध हैं।
- दक्षिण भारत में मंदिरों व घरों में विशेष पूजा-परंपराएँ हैं।
- कई स्थानों पर इको-फ्रेंडली मूर्तियों व पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जाता है।
इतिहास
गणेश चतुर्थी का उल्लेख प्राचीन भारतीय कथाओं में मिलता है। माता पार्वती ने मिट्टी से गणेश जी का निर्माण किया, जिन्हें बाद में शिव जी ने हाथी का सिर देकर बुद्धि और विघ्न विनाशक का स्वरूप प्रदान किया। लोकमान्य तिलक ने इसे महाराष्ट्र में सामाजिक रूप दिया।
अतिरिक्त जानकारी
- गणेश चतुर्थी हिंदू, जैन व बौद्ध समुदाय द्वारा विश्वभर में मनाई जाती है।
- गणेश मूर्तियाँ परंपरागत रूप से इको-फ्रेंडली मिट्टी से बनाई जाती हैं।
- यह पर्व सामाजिक समरसता, पर्यावरण-जागरूकता व भक्ति का संदेश देता है।
