दुर्गा पूजा 2026 – देवी दुर्गा की विजय का उत्सव
तारीख़: १७ अक्टूबर २०२६
पूरी तारीख
१७ अक्टूबर २०२६ सुबह ६:०० बजे – २१ अक्टूबर २०२६ शाम ७:०० बजे
मुहूर्त समय भारत में
महा षष्ठी और प्राण प्रतिष्ठा
१७ अक्टूबर २०२६ को महानष्ठी व प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त होता है, जब पंडालों में देवी की मूर्ति स्थापना होती है।
१७ अक्टूबर २०२६ सुबह ६:०० बजे – १७ अक्टूबर २०२६ शाम ७:०० बजे
महा अष्टमी और कुमारी पूजा
१९ अक्टूबर २०२६ को महा अष्टमी मनाई जाती है, जिसमें कुमारी पूजा जैसे विशेष संस्कार होते हैं।
१९ अक्टूबर २०२६ सुबह ६:०० बजे – १९ अक्टूबर २०२६ शाम ७:०० बजे
विजयादशमी और दुर्गा विसर्जन
२१ अक्टूबर २०२६ को विजयादशमी मनाई जाती है, जब दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन कर उनकी कैलाश पर्वत वापसी का प्रतीक किया जाता है।
२१ अक्टूबर २०२६ सुबह ७:०० बजे – २१ अक्टूबर २०२६ शाम ७:०० बजे
परिचय
दुर्गा पूजा एक महत्त्वपूर्ण हिंदू पर्व है जो माता दुर्गा के शक्ति स्वरूप और महिषासुर पर उनकी विजय का उत्सव है। यह पर्व पांच दिनों तक चलता है, प्रत्येक दिन दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा होती है तथा भारत में व्रत, संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
अन्य नाम
दुर्गोत्सव, महा पूजा, शारदीय पूजा
पूजा विधि
- घटस्थापना से पूजा आरंभ कर, मां दुर्गा की स्थापना करें।
- हल्दी, कुमकुम, फूल और मिठाई अर्पित करें।
- देवी स्तोत्र, दुर्गा चालीसा और मंत्रों का पाठ करें।
- सुबह और शाम की आरती में दीप जलाएं और धूप दें।
- विजयादशमी को सिंदूर खेल और मूर्ति विसर्जन के साथ समाप्त करें।
अनुष्ठान
- पंडालों में दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना (प्राण प्रतिष्ठा) से पूजा आरंभ होती है।
- रोज़ दुर्गा सप्तशती का पाठ और दीप, धूप से आरती की जाती है।
- शाम को भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
- फूल, फल, मिठाई और विशेष भोग अर्पित किए जाते हैं।
- विजयादशमी को मूर्ति विसर्जन भव्य यात्रा के साथ किया जाता है।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- पश्चिम बंगाल में भव्य पंडाल व कलात्मक दुर्गा मूर्तियों सहित सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।
- पूर्वी राज्यों जैसे असम और ओडिशा में पारंपरिक संगीत, नृत्य एवं सामूहिक भोज होते हैं।
- उत्तर भारत में उपवास, आरती और भक्ति गीतों के साथ पूजा आयोजन होता है।
- दक्षिण भारत में नवरात्रि दुर्गा पूजा से मेल खाती है, जहां विभिन्न रीति-रिवाज होते हैं।
इतिहास
दुर्गा पूजा का पौराणिक मूल कथा है जब माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस को युद्ध में परास्त किया, जो बुराई पर अच्छाई की विजय और स्त्री शक्ति के दिव्य स्वरूप का प्रतीक है। धार्मिक ग्रंथों और लोककथाओं में दुर्गा के रक्षक और योद्धा देवी के रूप में वर्णन मिलता है।
अतिरिक्त जानकारी
- दुर्गा पूजा अच्छाई की बुराई पर विजय और स्त्री शक्ति के दिव्य स्वरूप का प्रतीक है।
- यह सामाजिक मेल-जोल, कलात्मक अभिव्यक्ति और आध्यात्मिक भक्ति को बढ़ावा देता है।
- पर्व की तिथियाँ और विधियाँ क्षेत्रीय कैलेंडर व परंपराओं अनुसार भिन्न हो सकती हैं।
