चित्तिरै थिरुविझा उत्सव २०२६
तारीख़: १९ अप्रैल २०२६ - ३० अप्रैल २०२६
पूरी तारीख
१९ अप्रैल २०२६ सुबह ६:०० बजे – ३० अप्रैल २०२६ रात ९:०० बजे
मुहूर्त समय भारत में
कोड़ीएत्त्रम (ध्वज फहराना)
उत्सव की आधिकारिक शुरुआत के लिए ध्वज फहराने का समारोह।
१९ अप्रैल २०२६ सुबह ६:०० बजे – १९ अप्रैल २०२६ सुबह ७:०० बजे
थिरुकल्यानम अनुष्ठान
देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरश्वरार की दिव्य शादी का पुनर्निर्माण।
२५ अप्रैल २०२६ सुबह १०:०० बजे – २५ अप्रैल २०२६ दोपहर १२:०० बजे
कलालझागर नदी दर्शन
अंतिम जुलूस जिसमें भगवान कलालझागर वैगई नदी का दर्शन करते हैं।
३० अप्रैल २०२६ सुबह ६:०० बजे – ३० अप्रैल २०२६ सुबह ९:०० बजे
परिचय
चित्तिरै थिरुविझा मदुरै के मीनाक्षी मंदिर में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला भव्य उत्सव है, जो देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरश्वरार की दिव्य शादी का स्मरण करता है। यह उत्सव लाखों भक्तों को आकर्षित करता है और इसमें जुलूस, संगीत, नृत्य और पवित्र अनुष्ठान शामिल हैं।
अन्य नाम
मदुरै चित्तिरै उत्सव, मीनाक्षी थिरुकल्यानम
पूजा विधि
- कोड़ीएत्त्रम ध्वज फहराने से शुरुआत करें।
- विभिन्न वाहनों पर सजी मूर्तियों के साथ दैनिक जुलूस आयोजित करें।
- दिव्य शादी का पुनर्निर्माण करते हुए थिरुकल्यानम अनुष्ठान करें।
- परंपरागत तमिल कलाओं वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करें।
- दैवीय आशीर्वादों के लिए विशेष प्रार्थना और पूजा करें।
- भगवान कलालझागर की नदी दर्शन जुलूस के साथ समापन करें।
अनुष्ठान
- ध्वज फहराने का समारोह (कोड़ीएत्त्रम) उत्सव की शुरुआत को दर्शाता है।
- भगवान सुंदरश्वरार और देवी मीनाक्षी के भव्य सजीले वाहनों पर जुलूस।
- देवताओं की दिव्य शादी (थिरुकल्यानम) का पुनर्निर्माण।
- परंपरागत संगीत, नृत्य, और लोक कला सहित सांस्कृतिक प्रदर्शन।
- भक्त पूरे उत्सव के दौरान प्रार्थना और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।
- अंतिम जुलूस में भगवान कलालझागर का वैगई नदी का प्रतीकात्मक दौरा शामिल है।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- चित्तिरै थिरुविझा तमिलनाडु के सबसे बड़े मंदिर उत्सवों में से एक है।
- यह शैव और वैष्णव समुदायों को एक साथ लाता है।
- इसके जीवंत जुलूस, सांस्कृतिक प्रदर्शन और धार्मिक उत्साह के लिए जाना जाता है।
इतिहास
सदियों पुराना, यह उत्सव शैव और वैष्णव मतों के बीच एकता का प्रतीक है। यह तमिल विरासत के महत्वपूर्ण पौराणिक कथाओं और सांस्कृतिक परंपराओं का पर्व है।
अतिरिक्त जानकारी
- यह उत्सव भारत और विदेशों से लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।
- यह तमिल सांस्कृतिक विरासत और दिव्य पौराणिक कथाओं को प्रदर्शित करता है।
- समुदाय की भागीदारी और प्रशासनिक समर्थन के साथ आयोजित किया जाता है।
