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बाली प्रतिपदा २०२६

तारीख़: १० नवंबर २०२६

पूरी तारीख

१० नवंबर २०२६ सुबह ६:४० १० नवंबर २०२६ सुबह ८:५०

मुहूर्त समय भारत में

  • बाली पूजा अनुष्ठान

    राजा बाली की पूजा और प्रार्थना।

    १० नवंबर २०२६ सुबह ६:४० १० नवंबर २०२६ सुबह ८:५०

  • उपहार आदान-प्रदान

    संपत्ति और सौभाग्य के लिए परिवार और मित्र उपहार बांटते हैं।

    १० नवंबर २०२६ सुबह ९:०० १० नवंबर २०२६ दोपहर १२:००

परिचय

बाली प्रतिपदा, जिसे बाली पाद्यमि भी कहा जाता है, राजा बाली के पृथ्वी पर लौटने के रूप में मनाया जाता है। यह दिवाली का चौथा दिन और कार्तिक शुक्ल पक्ष का पहला दिन होता है।

अन्य नाम

बाली पाद्यमि, बाली पड़वा, दिवाली पड़वा, वीर प्रतिपदा, द्युत प्रतिपदा

पूजा विधि

  • सुबह जल्दी बाली पूजा करें।
  • राजा बाली को नैवैद्य अर्पित करें।
  • पारंपरिक भजन और मंत्र पढ़ें।
  • रिवाज के अनुसार मिठाइयां और उपहार बांटें।

अनुष्ठान

  • राजा बाली की पूजा अर्पित करें।
  • परिवार और मित्रों के बीच उपहार आदान-प्रदान करें।
  • कुछ क्षेत्रों में नए वर्ष की शुरुआत के रूप में विशेष प्रार्थनाएं करें।
  • कुछ समुदायों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करें।

क्षेत्रीय विशेषताएँ

  • यह दिवाली का चौथा दिन है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार।
  • यह राजा बाली की वापसी और भगवान विष्णु की विजय की कथा को मनाता है।
  • कुछ हिस्सों में इसे पारंपरिक नए साल के रूप में मनाया जाता है।

इतिहास

यह उत्सव प्राचीन हिंदू शास्त्रों में निहित है और भगवान विष्णु के वामन अवतार की दानव राजा बाली पर जीत को दर्शाता है।

अतिरिक्त जानकारी

  • यह उत्सव प्राचीन हिंदू परंपराओं और पौराणिक कथाओं को संरक्षित करता है।
  • यह उपहार आदान-प्रदान और सामूहिक अनुष्ठानों के माध्यम से पारिवारिक बंधन को बढ़ावा देता है।
  • भारत के कई राज्यों में क्षेत्रीय प्रकार्यों के साथ मनाया जाता है।
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