VividhGyan Logo

बैसाखी उत्सव 2026

तारीख़: १४ अप्रैल २०२६

पूरी तारीख

१४ अप्रैल २०२६ सुबह ६:२२ बजे १४ अप्रैल २०२६ शाम ७:०५ बजे

मुहूर्त समय भारत में

  • गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा खालसा स्थापना

    इस दिन 1699 में आनंदपुर साहिब में गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना की गई थी, जो समानता और भक्ति का संदेश देता है।

    १४ अप्रैल २०२६ सुबह ९:०० बजे १४ अप्रैल २०२६ शाम ६:०० बजे

  • बैसाखी शोभायात्रा और मेले

    पंजाब और हरियाणा में शोभायात्राएँ, मेले और भांगड़ा-गिद्धा जैसे लोकनृत्य आयोजित किए जाते हैं।

    १४ अप्रैल २०२६ सुबह १०:०० बजे १४ अप्रैल २०२६ शाम ८:०० बजे

परिचय

बैसाखी या वैशाखी पंजाब और उत्तर भारत में मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है। यह सौर नववर्ष, रबी फसल कटाई और खालसा पंथ स्थापना की वर्षगांठ का पर्व है। यह पर्व श्रम, संस्कृति और श्रद्धा का संगम है जो ईश्वर के प्रति कृतज्ञता और समृद्धि का प्रतीक है।

अन्य नाम

वैसाखी, वैशाख संक्रांति, मेष संक्रांति, फसल उत्सव पंजाब

पूजा विधि

  • सुबह स्नान कर स्वच्छ पारंपरिक वस्त्र धारण करें।
  • गुरुद्वारे जाएँ और फूल, कड़ा प्रसाद व दान अर्पित करें।
  • जपजी साहिब का पाठ करें और आरती में सहभागी बनें।
  • लंगर में सम्मिलित होकर सामूहिक भोज का भाग लें।
  • कृषि आभार स्वरूप पहली फसल ईश्‍वर को समर्पित करें।

अनुष्ठान

  • भक्त सुबह-सुबह गुरुद्वारों में जाकर अरदास करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
  • गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ इस दिन संपन्न होता है।
  • नगर कीर्तन में भक्त भजन गाकर और निशान साहिब लेकर नगर परिक्रमा करते हैं।
  • लंगर में हर व्यक्ति के लिए नि:शुल्क भोजन परोसा जाता है जो समानता का प्रतीक है।
  • किसान फसल कटाई की सफलता का आनंद गीत-संगीत और भांगड़ा नृत्य के साथ मनाते हैं।

क्षेत्रीय विशेषताएँ

  • अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में विशाल सत्संग, अरदास और लंगर का आयोजन होता है।
  • पंजाब और हरियाणा में किसान नृत्य, मेले और भोज के साथ फसल का पर्व मनाते हैं।
  • दिल्ली में प्रसिद्ध गुरुद्वारों में शोभायात्राएँ और कीर्तन होते हैं।
  • उत्तर भारत के हिंदू मेष संक्रांति स्नान और दान के साथ इस दिन का उत्सव मनाते हैं।

इतिहास

ऐतिहासिक रूप से बैसाखी का दोहरा महत्व है — यह कृषि और आध्यात्मिक नवोत्थान का पर्व है। 13 अप्रैल 1699 को गुरु गोविंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में सिखों को संगठित कर खालसा पंथ की स्थापना की थी, जो समानता, साहस और श्रद्धा का प्रतीक है। ज्योतिषीय रूप से यह दिन सूर्य के मेष राशि में प्रवेश (मेष संक्रांति) का दिन है और हिंदू सौर नववर्ष की शुरुआत का भी संकेत है। इस दिन को माँ गंगा के धरती पर अवतरण की स्मृति में भी मनाया जाता है।

अतिरिक्त जानकारी

  • बैसाखी वर्ष के आध्यात्मिक और कृषि पुनरारंभ का प्रतीक है।
  • सिख धर्म में यह दिन खालसा पंथ की स्थापना का प्रतीक है।
  • यह त्योहार आभार, समानता और एकता का संदेश समर्पित करता है।
भाषा बदलें: