अम्बुबाची मेला २०२६
तारीख़: २२ जून २०२६ - २५ जून २०२६
पूरी तारीख
२२ जून २०२६ सुबह ८:४३ बजे – २५ जून २०२६ सुबह ६:०० बजे
मुहूर्त समय भारत में
मंदिर बंद
देवी के मासिक धर्म अवधि का प्रतीक मंदिर तीन दिन बंद रहता है।
२२ जून २०२६ सुबह ८:४३ बजे – २४ जून २०२६ रात्रि १०:०० बजे
देवता के मंदिर की सफाई और पुनः उद्घाटन
मंदिर के पुनः उद्घाटन का प्रतीक विधिवत सफाई, प्रार्थना और अनुष्ठान।
२५ जून २०२६ सुबह ६:०० बजे – २५ जून २०२६ शाम ८:०० बजे
परिचय
अम्बुबाची मेला गुवाहाटी, असम के कामाख्या मंदिर में देवी कामाख्या के वार्षिक मासिक धर्म को समर्पित एक अनूठा उत्सव है। यह उर्वरता, नवीकरण और प्रकृति की रचनात्मक शक्ति का प्रतीक है।
अन्य नाम
अम्बुबासी उत्सव, कामाख्या मेला
पूजा विधि
- पहले दिन मंदिर बंद होने से पहले प्रार्थना करें।
- बंद अवधि के दौरान पूर्ण विश्राम और पूजा का निषेध करें।
- पुनः उद्घाटन के दिन देवी का विधिवत स्नान करें।
- पुनः उद्घाटन के दौरान वैदिक मंत्रों का जाप और आरती करें।
- भक्तों को आशीर्वाद स्वरूप रक्त बस्त्र वितरित करें।
- सामूहिक समारोहों में भाग लेकर नारी रचनात्मक शक्ति का सम्मान करें।
अनुष्ठान
- देवी के मासिक धर्म चक्र के दौरान मंदिर तीन दिनों तक बंद रहता है।
- बंद के दौरान विश्राम का कड़ाई से पालन और सभी अनुष्ठानों एवं पूजा का निलंबन।
- चौथे दिन देवता और मंदिर के अंदरूनी हिस्से का विधिवत स्नान और शुद्धिकरण।
- मंदिर के द्वारों का पुनः उद्घाटन भव्य वैदिक मंत्रोच्चारण और पूजा के साथ।
- देवी की शक्ति का प्रतीक लाल पवित्र वस्त्र (रक्त बस्त्र) वितरित किया जाता है।
- भक्ति समारोहों में विभिन्न आस्थाओं के भक्त शामिल होकर नारी शक्ति का सम्मान करते हैं।
क्षेत्रीय विशेषताएँ
- अम्बुबाची मेला पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी धार्मिक सभाओं में से एक है।
- यह नारी शक्ति, उर्वरता और प्रकृति के चक्रों का गहरा सम्मान करता है।
- विभिन्न आस्थाओं के भक्त उत्साह और श्रद्धा के साथ भाग लेते हैं।
इतिहास
यह उत्सव तांत्रिक परंपराओं में निहित है जो दिव्य नारी शक्ति और पृथ्वी की उर्वरता का जश्न मनाती हैं। मंदिर तीन दिनों तक बंद रहता है, जो देवी के मासिक धर्म का प्रतीक है, इसके बाद भव्य अनुष्ठानों के साथ पुनः खुलता है।
अतिरिक्त जानकारी
- यह उत्सव तांत्रिक परंपराओं से गहरा जुड़ा हुआ है और तांत्रिक साधकों के लिए महत्वपूर्ण घटना है।
- यह उर्वरता, सृजनात्मकता, और पृथ्वी की पोषण शक्ति का प्रतीक है।
- उत्सव के दौरान कृषि और पूजा गतिविधियां निलंबित रहती हैं।
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