खाटू श्याम चालीसा खाटू धाम सीकर
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॥ दोहा ॥
श्री गुरु पदरज शीशधर प्रथम सुमिरु गणेश ॥
ध्यान शारदा ह्रदयधर भजुन भवानी महेश ॥
चरण शरण विप्लव पड़े हनुमत हरे कलेश ।
श्याम चालीसा भजत हुन जयति खाटू नरेश ॥
॥ चौपाई ॥
वंदहुं श्याम प्रभु दुख भंजन ।
विपत विमोचन कष्ट निकंदन ॥
सांवळ रूप मदन छविवारी ।
केशर तिलक भाल दुतिकारी ॥
मौर मुकुट केसरिया बागा ।
गल वैजयंती चित अनुरागा ॥
नील अश्व मोराछड़ी प्यारी ।
करतल त्रय बाण दुख हरि ॥ 4
सूर्यवर्ष वैष्णव अवतारे ।
सुर मुनि नर जन जयति पुकारे ॥
पिता घटोत्कच मोरवी माता ।
पांडव वंशदीप सुखदाता ॥
बरबर केश स्वरूप अनोखा ।
बरबरीक अतुलित बल भूपा ॥
कृष्ण तुम्हें सुह्रदय पुकारे ।
नारद मुनि मुदित हो निहारे ॥ 8
मोरवे पुछत कर अभिवंदन ।
जीवन लक्ष्य कहो यदुनंदन ॥
गुप्त क्षेत्र देवी आराधना ।
दुष्ट दमन कर साधु साधना ॥
बरबरीक बल ब्रम्हचारी ।
कृष्ण वचन हर्ष शिरोधारी ॥
तप कर सिद्ध देवियां किन्हा ।
प्रबल तेज अथाह बल लिन्हा ॥ 12
यज्ञ करे विजय विप्र सुजाना ।
रक्षा बरबरीक करे प्राणा ॥
नव कोटि दैत्य पलाशी मारे ।
नागलोक वासुकी भय हरे ॥
सिद्ध हुआ चंडी अनुष्ठाना ।
बरबरीक बलनिधि जग जाना ॥
वीर मोरवे निजबल परखन ।
चले महाभारत रण देखन ॥ 16
मांगत वचन मान मोरवी अम्बा ।
पराजित प्रति पद अवलम्बा ॥
आगे मिले माधव मुरारी ।
पूछे वीर क्यों समर पधारे ॥
रण देखन अभिलाषा भारी ।
हारे का सदैव हितकारी ॥
तीर एक तीहुं लोक हिलाए ।
बल परख श्री कृष्ण सकुचाये ॥ 20
यदुपति ने माया से जाना ।
पार अपार वीर को पाना ॥
धर्म युद्ध की देत दुहाई ।
मांगत शीश दान यदुराई ॥
मनसा होगी पूर्ण तिहारी ।
रण देखोगे कहे मुरारी ॥
शीश दान बरबरीक दिन्हा ।
अमृत वर्षा सुरग मुनि किन्हा ॥ 24
देवी शीश अमृत से सींचत ।
केशव धरे शिखर जहां पर्वत ॥
जब तक नभ मंडल में तारे ।
सुर मुनि जन पूजेंगे सारे ॥
दिव्य शीश मुद मंगल मूला ।
भक्तन हेतु सदा अनुकूला ॥
रण विजयी पांडव गर्वाए ।
बरबरीक तब न्याय सुनाए ॥ 28
सर कटे था चक्र सुदर्शन ।
रणचंडी करती लहू भक्षण ॥
न्याय सुनत हर्षित जन सारे ।
जग में गूंजे जय जयकारे ॥
श्याम नाम घनश्याम दिन्हा ।
अजर अमर अविनाशी किन्हा ॥
जन हित प्रकटे खाटू धामा ।
लख दाता दानी प्रभु श्यामा ॥ 32
खाटू धाम मोक्ष का द्वारा ।
श्याम कुंड बहे अमृत धारा ॥
शुदी द्वादशी फाल्गुन मेला ।
खाटू धाम सजे अलबेला ॥
एकादशी व्रत ज्योत द्वादशी ।
सबल काय परलोक सुधरसी ॥
खीर चूरमा भोग लगत हैं ।
दुख दरिद्र कलेश कटत हैं ॥ 36
श्याम बहादुर सांवळ ध्याये ।
आलू सिंह हृदय श्याम बसाए ॥
मोहन मनोज विप्लव भांखे ।
श्याम धनी म्हारी पत राखे ॥
नित प्रति जो चालीसा गावे ।
सकल साध सुख वैभव पावे ॥
श्याम नाम सम सुख जग नहीं ।
भव भय बंध कटत पल माहिं ॥ 40
॥ दोहा ॥
त्रिबन दे त्रिदोष मुक्ति दर्श दे आत्म ज्ञान ।
चालीसा दे प्रभु भुक्ति सुमिरन दे कल्याण ॥
खाटू नगरी धन्य हैं श्याम नाम जयगान ।
आगम अगोचर श्याम हैं विरदहीन स्कंद पुराण ॥
खाटू श्याम चालीसा खाटू धाम सीकर के बारे में
खाटू श्याम चालीसा 40 पदों का भक्ति गीत है जो राजस्थान के सीकर जिले के खाटू धाम में व्यापक रूप से पूजे जाने वाले भगवान खाटू श्याम को समर्पित है। यह भजन वीर भक्त बरबरीक की महान त्याग और अटूट भक्ति का स्तवन करता है, जिन्हें भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है। चालीसा उनकी दिव्य शक्तियों का गुणगान करती है और रक्षा, समृद्धि व आध्यात्मिक उत्थान के लिए आशीर्वाद मांगती है।
अर्थ
चालीसा में खाटू श्याम बाबा के दिव्य गुणों और उनकी पौराणिक कथा का वर्णन है, जो उनकी दया, शक्ति और भक्तों के रक्षक के रूप में भूमिका को दर्शाता है। यह महाभारत काल में उनके बलिदान को रेखांकित करता है, जिससे उन्हें वर्तमान युग में श्याम बाबा के रूप में पूजनीय होने का आशीर्वाद मिला। यह भक्ति, विश्वास बनाए रखने और कठिनाइयों को पार करने हेतु उनका मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
लाभ
- बाधाएं और नकारात्मक प्रभाव दूर करता है
- जीवन में सुरक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करता है
- समृद्धि, सफलता और सुख देता है
- इच्छाओं और आध्यात्मिक आशाओं को पूरा करता है
- शारीरिक और मानसिक रोगों को ठीक करता है
- साहस, श्रद्धा और आंतरिक शक्ति प्रदान करता है
- भक्ति और आध्यात्मिक संबंध को गहरा करता है
महत्व
खाटू श्याम चालीसा का पाठ विशेष रूप से राजस्थान के सीकर जिले के प्रमुख तीर्थ स्थल खाटू धाम के दर्शनार्थियों द्वारा किया जाता है। यह मंदिर अपनी आध्यात्मिक विरासत, चमत्कारिक शक्तियों और फाल्गुन मेला जैसे भव्य त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है। चालीसा का जाप विश्वास को मजबूत करता है, भय दूर करता है और भक्तों को दैवीय आशीर्वाद प्रदान करता है, जिससे उनकी आध्यात्मिक यात्रा पूर्ण और रूपांतरित होती है।