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विशvakर्मा आरती

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जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के करता,
रक्षक स्तुति धर्म॥
॥ जय श्री विश्वकर्मा...॥
आदि सृष्टि में विधि को,
श्रुति उपदेश दिया।
जीव मात्र का जग में,
ज्ञान विकास किया॥
॥ जय श्री विश्वकर्मा...॥

ध्यान किया जब प्रभु का,
सकल सिद्धि आई।
ऋषि अंगीरा तप से,
शांति नहीं पाई॥
॥ जय श्री विश्वकर्मा...॥

रोग ग्रस्त राजा ने,
जब आश्रय लिया।
संकट मोचन बनकर,
दूर दुःख किया॥
॥ जय श्री विश्वकर्मा...॥

जब रथाकार दंपति,
तुम्हारी तेरी करी।
सुनकर दीन प्रार्थना,
विपत हरि सागरि॥
॥ जय श्री विश्वकर्मा...॥

एकानन चतुरानन,
पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुरभुज दशभुज,
सकल रूप साजे॥
॥ जय श्री विश्वकर्मा...॥

ध्यान धरे तब पद का,
सकल सिद्धि आवे।
मन द्विविधा मिट जाए,
अटल शक्ति पावे॥
॥ जय श्री विश्वकर्मा...॥

श्री विश्वकर्मा की आरती,
जो कोई गावे।
भजत गणेश स्वामी,
सुख सम्पत्ति पावे॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के करता,
रक्षक स्तुति धर्म॥

विशvakर्मा आरती के बारे में

श्री विश्वकर्मा जी को सभी देवताओं के शिल्पकार और सृष्टिकर्ता माना जाता है। उनकी आरती उनके निर्माण कार्यों की सफलता और सुरक्षा के लिए साधना है।

अर्थ

इस आरती में विश्वकर्मा जी के निर्माण कार्यों, उनकी सभी अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण, और उनकी दिव्यता का वर्णन है। इसे करने से कार्यों में सफलता और घर-कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

लाभ

  • निर्माण कार्यों में सफलता
  • कार्यस्थल और उपकरणों की सुरक्षा
  • धार्मिक और सामाजिक सौहार्द
  • आध्यात्मिक उन्नति और समृद्धि

महत्व

विश्वकर्मा पूजा विश्वकर्मा जयंती पर विशेष रूप से होती है। यह पूजा मज़दूरों, कारीगरों, इंजीनियरों और निर्माताओं के लिए महत्वपूर्ण है।

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