वैभव लक्ष्मी आरती
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ओम वैभव लक्ष्मी माता,
मैया वैभव लक्ष्मी माता,
भक्तों के हितकारिणी,
भक्तों के हितकारिणी,
सुख वैभव दाता,
ओम वैभव लक्ष्मी माता।
लक्ष्मी माँ का नाम जो लेता,
सुख सम्पति पाता,
मैया सुख सम्पति पाता,
दुःख दरिद्र मिटता,
दुःख दरिद्र मिटता,
वांछित फल पाता।
ओम वैभव लक्ष्मी माता,
मैया वैभव लक्ष्मी माता,
भक्तों के हितकारिणी,
भक्तों के हितकारिणी,
सुख वैभव दाता,
ओम वैभव लक्ष्मी माता।
लक्ष्मी माता तू जग माता,
जग पालक रानी,
मैया जग पालक रानी,
हाथ जोड़ गुण गाते,
हाथ जोड़ गुण गाते,
जग के सब प्राणी।
ओम वैभव लक्ष्मी माता,
मैया वैभव लक्ष्मी माता,
भक्तों के हितकारिणी,
भक्तों के हितकारिणी,
सुख वैभव दाता,
ओम वैभव लक्ष्मी माता।
हे माँ तेरी शरण में जो आता,
तेरी भक्ति पाता,
मैया तेरी भक्ति पाता,
माँ तेरी ममता पा के,
माँ तेरी ममता पा के,
अंत स्वर्ग जाता।
ओम वैभव लक्ष्मी माता,
मैया वैभव लक्ष्मी माता,
भक्तों के हितकारिणी,
भक्तों के हितकारिणी,
सुख वैभव दाता,
ओम वैभव लक्ष्मी माता।
ओम वैभव लक्ष्मी माता,
मैया वैभव लक्ष्मी माता,
भक्तों के हितकारिणी,
भक्तों के हितकारिणी,
सुख वैभव दाता,
ओम वैभव लक्ष्मी माता,
ओम वैभव लक्ष्मी माता।
वैभव लक्ष्मी आरती के बारे में
यह आरती माता लक्ष्मी के वैभव, समृद्धि और सौभाग्य का गुणगान करती है। इसमें उनकी सभी प्रकार की संपत्तियाँ प्रदान करने वाली विधाओं का वर्णन है।
अर्थ
आरती में माता लक्ष्मी की दिव्यता और उनकी कृपा से मिलने वाली सुख-समृद्धि का वर्णन है। यह भक्ति को समृद्धि का मार्ग बताती है।
लाभ
- परिवार में समृद्धि और सुख
- धन और वैभव की प्राप्ति
- कष्टों से मुक्ति और सौभाग्य में वृद्धि
- सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली
महत्व
लक्ष्मी पूजा, दीपावली और किसी भी शुभ अवसर पर वैभव लक्ष्मी आरती का पाठ किया जाता है। यह धन-वैभव की प्राप्ति का प्रमुख साधन है।