तुलसी आरती - महारानी नमो नमो
तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरी की पत्नि नमो-नमो ।
धन तुलसी पुराण तप किया,
शालिग्राम बनी पत्नि ।
जाके पात्र मंझरी कोमल,
श्रीपति कमल चरण लप्टानी ॥
धूप-दीप-नवेद्य आरती,
पुष्पपान की वर्षा बरसानी ।
छप्पन भोग चातिसौं व्यंजन,
बिन तुलसी हरि एक ना मानी ॥
सभी सखि मइया तेरा यश गावे,
भक्तदान दीजये महारानी ।
नमो-नमो तुलसी महारानी,
तुलसी महारानी नमो-नमो ॥
तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरी की पत्नि नमो-नमो ।
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