श्री शनि देव जी
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जय जय श्री शनि देव भक्तान हितकारी ।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥
॥ जय जय श्री शनि..॥
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुर्जा धारी ।
नीलांबर धरनाथ गज की अश्वारी ॥
॥ जय जय श्री शनि..॥
कृत मुकुट शीश सहज दीपत हैं लिलारी ।
मुक्तान की माला गले शोभित बलिहारी ॥
॥ जय जय श्री शनि..॥
मोदक मिष्ठान पान चढ़ात हैं सुपारी ।
लोहे, तिल, उड़द महिषी अति प्यारी ॥
॥ जय जय श्री शनि..॥
देव दानुज ऋषि मुनि सुरत नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥
॥ जय जय श्री शनि..॥
श्री शनि देव जी के बारे में
श्री शनि देव हिंदू धर्म के न्याय और कर्मफल दाता देवता हैं, जो व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। शनि देव सूर्यदेव के पुत्र हैं और उन्हें संतुलन और न्याय का प्रतीक माना जाता है। उनकी पूजा से जीवन में आने वाली बाधायें दूर होती हैं और मानसिक शक्ति बढ़ती है।
अर्थ
शनि देव की आराधना उनके न्यायप्रिय और दंडात्मक स्वरूप का स्मरण कराती है। वे अच्छे कर्मों को पुरस्कृत और बुरे कर्मों का दंड देते हैं। उनका काला वर्ण और काऊ की सवारी उनके गंभीर और कठोर स्वभाव को दर्शाते हैं।
लाभ
- जीवन में बाधाओं और कष्टों का नाश
- धैर्य, मानसिक शक्ति और स्थिरता का विकास
- कर्मों के अनुसार उचित फल की प्राप्ति
- नकारात्मक ज्योतिषीय प्रभावों से मुक्ति
महत्व
शनिवार का दिन विशेष रूप से शनि देव की पूजा का दिन माना जाता है। शनि देव की पूजा और आराधना से उनके प्रकोप से बचा जा सकता है और जीवन में समृद्धि एवं सफलता प्राप्त होती है। वे ज्योतिषीय मान्यताओं में न्यायाधीश की भूमिका निभाते हैं।