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श्री शालिग्राम जी आरती

वर्ण वर्ण के पुष्प चढ़ाऊं ।
शालिग्राम सुनो विनती मेरी ।

प्रातः समय उठि मंजन करके ।
प्रेम सहित स्नान कराऊं ।

चंदन धूप दीप तुलसीदल ।
वर्ण वर्ण के पुष्प चढ़ाऊं ।

तुम्हरे सामने नृत्य करूँ नित ।
प्रभु घंटा शंख मृदंग बजाऊं ।

चरण धोय चरणामृत लेकर ।
कुटुंब सहित बैकुंठ सिधारूं ।

जो कुछ रूखा सूखा घर में ।
भोग लगाकर भोजन पाऊं ।

मन वचन कर्म से पाप किए ।
जो परिक्रमा के साथ बहाऊं ।

ऐसी कृपा करो मुझ पर ।
यम के द्वारे जाने ना पाऊं ।

माधवदास की विनती यही है ।
हरि दासन को दास खाऊं ।

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