श्री शालिग्राम जी आरती
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वर्ण वर्ण के पुष्प चढ़ाऊं ।
शालिग्राम सुनो विनती मेरी ।
प्रातः समय उठि मंजन करके ।
प्रेम सहित स्नान कराऊं ।
चंदन धूप दीप तुलसीदल ।
वर्ण वर्ण के पुष्प चढ़ाऊं ।
तुम्हरे सामने नृत्य करूँ नित ।
प्रभु घंटा शंख मृदंग बजाऊं ।
चरण धोय चरणामृत लेकर ।
कुटुंब सहित बैकुंठ सिधारूं ।
जो कुछ रूखा सूखा घर में ।
भोग लगाकर भोजन पाऊं ।
मन वचन कर्म से पाप किए ।
जो परिक्रमा के साथ बहाऊं ।
ऐसी कृपा करो मुझ पर ।
यम के द्वारे जाने ना पाऊं ।
माधवदास की विनती यही है ।
हरि दासन को दास खाऊं ।
श्री शालिग्राम जी आरती के बारे में
श्री शालिग्राम जी की आरती भगवान विष्णु के प्रवाहित और आद्य स्वरूप की पूजा है। शालिग्राम एक पवित्र स्वर्णिम शिला है जो विष्णु स्वरूप माना जाता है। आरती में शालिग्राम के दिव्य स्वरूप, उनकी महिमा, भक्ति और भक्तों पर उनकी कृपा का वर्णन किया जाता है।
अर्थ
आरती का अर्थ है शालिग्राम स्वरूप भगवान विष्णु की असीम कृपा और सृष्टि के पालनहार रूप में उनकी महत्ता को समझना। इससे जीवन में भक्ति और आध्यात्मिक विकास होता है।
लाभ
- आध्यात्मिक जागरूकता और शांति
- शत्रु बाधाओं का नाश
- संकटों से मुक्ति और सुख-समृद्धि
- भक्ति और जीवन में सफलता
महत्व
श्री शालिग्राम जी की आरती भगवान विष्णु भक्ति के प्रमुख अनुष्ठानों में की जाती है। यह विशेष रूप से विष्णु पर्वों और घर की पूजा में शालिग्राम देव के लिए की जाती है।