श्री सत्यनारायण जी की आरती
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जय लक्ष्मी रामना, स्वामी जय लक्ष्मी रामना।
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरना॥
॥ओम जय लक्ष्मी रामना...॥
रत्न जढित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे।
नारद करत निराजंन, घंटा वन बाजे॥
॥ओम जय लक्ष्मी रामना...॥
प्रकट भय कालिकारण, द्विज को दर्शन दिया।
बुद्धो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल किया॥
॥ओम जय लक्ष्मी रामना...॥
दुर्बल भील कथोरो, जिन पर कृपा करी।
चंद्रचूड़ एक राजा, तिनकी विपत्ति हरि॥
॥ओम जय लक्ष्मी रामना...॥
वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा ताज दिनही।
सो फल भाग्यो प्रभुजी, फिर स्तुति किन्ही॥
॥ओम जय लक्ष्मी रामना...॥
भाव भक्ति के कारण, चिन चिन रूप ध्रयो।
श्रद्धा धारण किन्ही, तिनको काम सरो॥
॥ओम जय लक्ष्मी रामना...॥
ग्वाल- बाल संग राजा, बन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दिनो, दीन दयालु हरि॥
॥ओम जय लक्ष्मी रामना...॥
चढत प्रसाद सवायो कदली फल मेवा।
धूप दीप तुलसी से राजी सत्यदेव॥
॥ओम जय लक्ष्मी रामना...॥
श्री सत्यनारायण जी की आरती जो कोई गावे।
रिद्धि-सिद्धि सुख-संपत्ति सहज रूप पावे॥
जय लक्ष्मी रामना, स्वामी जय लक्ष्मी रामना।
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरना॥
श्री सत्यनारायण जी की आरती के बारे में
श्री सत्यनारायण जी, भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप हैं। उनकी आरती श्रद्धा और भक्ति से गाई जाती है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
अर्थ
इस आरती में सत्यनारायण भगवान की महिमा का वर्णन है, जो सभी पापों और संकटों का नाश करते हैं। यह भक्तों को मनोवांछित फल, स्वास्थ्य और संपदा प्रदान करती है।
लाभ
- सभी प्रकार के संकट और कष्टों का नाश
- धार्मिक और सांसारिक सुख-समृद्धि की प्राप्ति
- शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में सुधार
- परिवार में सौभाग्य और सामंजस्य
महत्व
यह आरती विशेष रूप से सत्यनारायण पूजा के दौरान गाई जाती है। इसे करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।