श्री नवग्रह जी आरती
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आरती श्री नवग्रहों की कीजै।
बाधा, कष्ट, रोग, हर लीजे।
सूर्य तेज व्यापे जीवन भर।
जाकी कृपा कबहुँ नहीं छीजे।
रूप चन्द्र शीतलता लाए।
शांति स्नेह सरस रसु भीजै।
मंगल हरे अमंगल सारा।
सौम्य सुधा रस पीजै।
बुद्ध सदा वैभव यश लीये।
सुख संपत्ति लक्ष्मी पसीजै।
विद्या बुद्धि ज्ञान गुरु से ले लो।
प्रगति सदा मानव पै रीझे।
शुक्र तर्क विज्ञान बढ़ावे।
देश धर्म सेवा यश लीजे।
न्यायधीश शनि अति प्यारे।
जप तप श्रद्धा शनि को दीजै।
राहु मन का भरम हरावे।
साथ न कबहुँ कुकर्म न दीजै।
स्वस्थ उत्तम केतु राखे।
पराधीनता मनहित खीजे।
श्री नवग्रह जी आरती के बारे में
श्री नवग्रह आरती नौ ग्रहों की महिमा, उनकी शांति, और ग्रह दोषों के निवारण की स्तुति करती है। इसमें सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, और केतु के गुणों, प्रभावों और उपासना की अतुलनीय शक्ति का वर्णन है। आरती पाठ के समय ग्रहों के दोषों से मुक्ति की प्रार्थना की जाती है, जो जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाने में सहायक होती है।
अर्थ
इस आरती का भाव है कि ग्रहों के सकारात्मक प्रभाव से जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं और नकारात्मक ग्रह दोषों से जीवन में बाधाएँ दूर होती हैं। यह आरती भक्तों को ग्रहों की पूजा में सहायक होती है।
लाभ
- ग्रह दोषों का निवारण
- सुख, समृद्धि और लंबी आयु
- परिवार और व्यवसाय में शांति
- आध्यात्मिक और मानसिक स्थिरता
- सफलता और रोगों से मुक्ति
महत्व
नवग्रह आरती विशेष रूप से ग्रह दोष निवारण पूजा, खंड-ग्रहेष्टि, और विशेष धार्मिक अवसरों पर गाई जाती है। इससे ग्रहों की शांति होती है और जीवन में संतुलन आता है।