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श्री नाथजी संध्या आरती - गोरखनाथ मठ

श्री गुरु गोरक्षनाथ जी की संध्या आरती
ॐ गुरुजी शिव जय जय गोरक्ष देवा । श्री अवधू हर हर गोरक्ष देवा ।
सुर नर मुनि जन ध्यावत, सुर नर मुनि जन सेवत ।
सिद्ध करैं सब सेवा, श्री अवधू संत करैं सब सेवा ।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥
ॐ गुरुजी योग युगति कर जानत मानत ब्रह्म ज्ञानी ।
श्री अवधू मानत सर्व ज्ञानी ।
सिद्ध शिरोमणि राजत संत शिरोमणि सजत ।
गोरक्ष गुण ज्ञानी, श्री अवधू गोरक्ष सर्व ज्ञानी ।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥

ॐ गुरुजी ज्ञान ध्यान के डारी गुरु सब के हो हितकारी ।
श्री अवधू सब के हो सुखकारी ।
गो इंद्रियों के रक्षक सर्व इंद्रियों के पालक ।
रखत सुध सारी, श्री अवधू राखत सुध सारी ।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥

ॐ गुरु जी रमते श्रीराम सकल युग माहि छाया है नाहिं ।
श्री अवधू माया है नहीं ।
घट घट के गोरक्ष व्यापै सर्व घट श्री नाथ जी विराजत ।
सो लक्ष मन माँहि श्री अवधू सो लक्ष दिल माँहि ।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥

ॐ गुरुजी भस्मि गुरु लसत सरजनी है अंगे ।
श्री अवधू जननी है संगे ।
वेद उच्चारे सो जानत योग विचारे सो मानत ।
योगी गुरु बहुरंगा श्री अवधू बोले गोरक्ष सर्व संगा ।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥

ॐ गुरु जी कंठ विराजत सेली और श्रृंगी जट मत सुखी बेली ।
श्री अवधू जट सत सुख बेली ।
भगवा कंठा सोहत-गेरुवा अंचला सोहत ज्ञान रतन थैली ।
श्री अवधू योग युगति झोली ।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥

ॐ गुरु जी कानों में कुंडल राजत साजत रवि चंद्रमा ।
श्री अवधू सोहत मस्तक चंद्रमा ।
बाजत श्रृंगी नादा-गुरु बजत अनहद नादा-गुरु भाजत दुःख द्वंदा ।
श्री अवधू नाशत सर्व संशय
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥

ॐ गुरु जी निद्रा मारो गुरु काल संहारो-संकट के हो बैरी
श्री अवधू दुष्टन के हो बैरी
करो कृपा संतन पर-गुरु दया पालो भक्तन पर शरणागत तुम्हारी
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥

ॐ गुरु जी इतनी श्रीनाथ जी की संध्या आरती
निश दिन जो गावे-श्री अवधू सर्व दिन रत गावे
वर्णि राजा रामचंद्र स्वामी गुरु जपे राजा रामचंद्र योगी
मनवांछित फल पावे श्री अवधू सुख संपत्ति फल पावे ।
शिव जय जय गोरक्ष देवा ॥

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