श्री दत्त आरती
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त्रिगुणात्मिक त्रैमूर्ति दत्त ह जान |
त्रिगुणी अवतार त्रैलोक्यराणा ||
नेति नेति शब्द न ये अनुमान |
सुरवर मुनिजन योगी समाधी न ये ध्यान ||
जय देव जय देव जय श्रीगुरुदत्त |
आरती ओवलिंता हरली भावचिंता ||
सबह्य abyantari तू एकदत्त |
अभाव्यासी काईची कलेल ही मात ||
परही परताली तेत्हे काइचा हेत |
जन्ममरणाचा पूर्णसे अंत ||
दत्त येनीया उभा थकला |
साष्टांग नमुनी प्रणिपात केला ||
प्रसन्न होऊन आशीर्वाद दिला |
जन्ममरणाचा फेरा चुकविला ||
दत्त दत्त अशी लागले ध्यान |
हर्पाले मन झाले उन्मन ||
मी तू पणाची झाली बोलवण |
एका जनार्दनी श्री दत्त ध्यान ||
जय देव जय देव जय ||
श्री दत्त आरती के बारे में
श्री दत्तात्रेय, ब्रह्मा, विष्णु और महेश के त्रिगुणात्मक अवतार हैं। उनकी आरती भक्तों को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग दिखाती है।
अर्थ
इस आरती में भगवान दत्तात्रेय के त्रिगुणात्मक प्रकृति, उनके अनंत स्वरूप और कीर्ति का वर्णन है। यह जन्म-मरण से मुक्ति, भय-भ्रम और दुखों से मुक्ति का वरदान देती है।
लाभ
- जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति
- आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान की वृद्धि
- संकटों का नाश और मानसिक शांति
- परिवार में सुख-शांति और समृद्धि
महत्व
यह आरती दत्तात्रेय की पूजा और त्यौहारों में गाई जाती है। इसे करने से भक्तों को भगवान की कृपा मिलती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।