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श्री भागवत भगवान की आरती

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श्री भागवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तरती।
ये अमर ग्रन्थ ये मुक्ति पंथ,
ये पंचम वेद निराला,
नव ज्योति जलाने वाला।
हरि नाम यही हरि धाम यही,
यही जग मंगल की आरती
पापियों को पाप से है तरती॥
॥ श्री भागवत भगवान की...॥

ये शांति गीत पावन पुनीत,
पापों को मिटाने वाला,
हरि दरश दिखाने वाला।
यह सुख करनी, यह दुःख हरिनी,
श्री मधुसूदन की आरती,
पापियों को पाप से है तरती॥
॥ श्री भागवत भगवान की...॥

ये मधुर बोल, जग फंद खोल,
सन्मार्ग दिखाने वाला,
बिगड़ी को बनाने वाला।
श्री राम यही, घनश्याम यही,
यही प्रभु की महिमा की आरती
पापियों को पाप से है तरती॥

श्री भागवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तरती।

श्री भागवत भगवान की आरती के बारे में

श्री भागवत भगवान की आरती शास्त्रों में वर्णित दिव्य ज्ञान और भगवान विष्णु के स्वरूप का गुणगान करती है। भागवत पुराण को धर्म, भक्ति और ज्ञान का आधार माना गया है।

अर्थ

आरती का भाव यह है कि श्रीमद्भागवत भक्तों को भगवान के दिव्य स्वरूप से जोड़कर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है। यह धर्म, भक्ति और अध्यात्म का महासागर है।

लाभ

  • भक्ति में दृढ़ता और भगवान से गहरा संबंध
  • ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति
  • परेशानियों और दुखों से छुटकारा
  • धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन का संरक्षण

महत्व

भागवत भगवान की आरती विशेष रूप से भागवत कथा, सत्संग और विष्णु पर्व पर गाई जाती है। इसके पाठ से भक्ति और ज्ञान दोनों का विकास होता है।

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