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श्री बंके बिहारी तेरी आरती गाऊं

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श्री बंके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं ।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुंदर तेरी आरती गाऊं ।
॥ श्री बंके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥
मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे,
प्यारी बंसी मेरे मन मोहे ।
देख छवि बलिहारी मैं जाऊं ।
॥ श्री बंके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥

चरणों से निकली गंगा प्यारी,
जिसने सारी दुनिया तारि ।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं ।
॥ श्री बंके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥

दास अनाथ के नाथ आप हो,
दुःख-सुख जीवन प्यारे साथ आप हो ।
हरी चरणों में शीश झुकाऊं ।
॥ श्री बंके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥

श्री हरिदास के प्यारे तुम हो,
मेरे मोहन जीवन धन हो ।
देख युगल छवि बलि-बलि जाऊं ।
॥ श्री बंके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥

श्री बंके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं ।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुंदर तेरी आरती गाऊं ।

श्री बंके बिहारी तेरी आरती गाऊं के बारे में

श्री बांके बिहारी जी, जो भगवान कृष्ण के वृंदावन रूप हैं, उनकी आरती भक्तों को प्रेम, भक्ति और शांति प्रदान करती है। यह आरती उनकी सुंदरता, लीलाओं और करुणा का वर्णन करती है।

अर्थ

इस आरती में बांके बिहारी के मोर मुकुट, प्यारी बंसी और प्रकट रूप की महिमा का वर्णन है। यह आरती भक्तों को उनके चरणों की गंगा जैसी पवित्रता का अनुभव कराती है और जीवन में सुख-शांति लाती है।

लाभ

  • प्रेम और भक्ति की वृद्धि
  • मन की शांति और संतोष
  • संकटों का नाश और सुरक्षा
  • जीवन में समृद्धि और खुशहाली

महत्व

यह आरती विशेषकर श्री कृष्ण जन्माष्टमी, होली और वृंदावन के धार्मिक आयोजनों में गाई जाती है। इसके नियमित पाठ से भक्तों को भगवान की विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।

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