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श्री बाबा बालकनाथ आरती

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ॐ जय कालाधारी हरे,
स्वामी जय पौनाहारी हरे,
भक्त जनों की नैया,
दास जनों की नैया,
भव से पार करे,
ॐ जय कालाधारी हरे ॥
बालक उमर सुहानी,
नाम बालक नाथा,
अमर हुए शंकर से,
सुन के अमर गाथा ।
ॐ जय कालाधारी हरे ॥

शीश पे बाल सुनैहरी,
गले रुद्राक्षी माला,
हाथ में झोली चिमटा,
आसन मृगशाला ।
ॐ जय कालाधारी हरे ॥

सुंदर सेली सिंगी,
वैरागन सोहे,
गौ पालक रखवालक,
भगतन मन मोहे ।
ॐ जय कालाधारी हरे ॥

अंग भभूत रमाई,
मूर्ति प्रभु रंगी,
भय भंजन दुःख नाशक,
भरतहरि के संगी ।
ॐ जय कालाधारी हरे ॥

रोट चढ़त रविवार को,
फल, फूल मिश्री मेवा,
धूप दीप कुदानुं से,
आनंद सिद्ध देवा ।
ॐ जय कालाधारी हरे ॥

भक्तन हित अवतार लियो,
प्रभु देख के कल्लू काला,
दुष्ट दमन शत्रुहन,
सबके प्रतिपाला ।
ॐ जय कालाधारी हरे ॥

श्री बालक नाथ जी की आरती,
जो कोई नित गावे,
कहते हैं सेवक तेरे,
मन वांछित फल पावे ।
ॐ जय कालाधारी हरे ॥

ॐ जय कालाधारी हरे,
स्वामी जय पौनाहारी हरे,
भक्त जनों की नैया,
दास जनों की नैया,
भव से पार करे,
ॐ जय कालाधारी हरे ॥

श्री बाबा बालकनाथ आरती के बारे में

श्री बाबा बालकनाथ जी हिमाचल प्रदेश और उत्तरी भारत के लोकप्रिय साधु एवं देवता हैं, जिन्हें कार्तिकेय का अवतार माना जाता है। उनकी आरती भक्तों को मानसिक शक्ति, संकटों से मुक्ति और समृद्धि प्रदान करती है।

अर्थ

इस आरती में बाबा बालकनाथ के दिव्य रूप, उनकी शक्ति और करुणा का वर्णन किया गया है। यह आरती भक्तों को विश्वास, साहस और भगवान की विशेष कृपा पाने का माध्यम है।

लाभ

  • संकटों से मुक्ति और मानसिक शांति
  • आध्यात्मिक उन्नति और धर्म की रक्षा
  • साहस और जीवन में सफलता
  • भक्ति और विश्वास की वृद्धि

महत्व

बाबा बालकनाथ की आरती विशेष रूप से उनके मंदिरों और धार्मिक कार्यक्रमों में गाई जाती है। इसे नियमित करने से भक्तों को उनकी दिव्य कृपा मिलती है।

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