शाकुम्भरी देवी की आरती
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हरि ओम श्री शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो,
एसी अद्भुत रूप हिरिधे धर लीजो,
सतशी देयालु की आरती कीजो,
तुम परिपूरन आदि भवानी माँ,
सब घट तुम आप भखानी माँ,
हरि ओम श्री शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो,
तुम्ही हो शाकुम्भर, तुम ही हो सतशी माँ,
शिव मूर्ति माया परकाशी माँ,
शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो,
नित्त जो नर नारी अम्बे आरती गावे माँ,
इछाहा पूरन कीजो, शुकुम्भर दर्शन पावे माँ,
शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो,
जो नर आरती पढे पढावे माँ, जो नर आरती सुनावे माँ,
बस भेकुन्थ शाकुम्भर दर्शन पावे,
शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो,
शाकुम्भरी देवी की आरती के बारे में
शकुंभरी देवी की आरती माता के उस रूप का वर्णन करती है, जो फल, फूल और शाकाहारी आहार की देवी मानी जाती हैं।
अर्थ
आरती में माता को पोषण, भरण-पोषण और जीवन दायिनी शक्ति के रूप में चित्रित किया गया है।
लाभ
- परिवार में समृद्धि और उन्नति
- संतान सुख और पोषण
- भोजन और अन्न में वृद्धि
- रोगों से मुक्ति
महत्व
माता की यह आरती नवरात्रि और विशेष पर्वों पर गायी जाती है, जिससे भरपूर अन्न और सुख की प्राप्ति होती है।