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सरस्वती ॐ जय वीणे वाली

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ॐ जय वीणे वाली, मैया जय वीणे वाली।
रिधि सिधि की रहती, हाथ तेरे ताली॥
ऋषि मुनियों की बुद्धि को, शुद्ध तू ही करती।
स्वर्ण की भाती, शुद्ध तू ही करती॥ 1 ॥
ज्ञान पिता को देती, गगन शब्द से तू।
विश्व को उत्पन्न करती, आदि शक्ति से तू॥ 2 ॥

हंस-वाहिनी दीजे, भिक्षा दर्शन की।
मेरे मन में केवल, इच्छा दर्शन की॥ 3 ॥

ज्योति जगाकर नित्य, यह आरती जो गावे।
भवसागर के दुख में, गोता न कभी खावे॥ 4 ॥

सरस्वती ॐ जय वीणे वाली के बारे में

सरस्वती आरती ओम जय वीणे वाली माता सरस्वती की महिमा करती है, जो विद्या, ज्ञान, संगीत और कला की देवी हैं। यह आरती भक्तों को बुद्धि, विद्या और आध्यात्मिक प्रगति प्रदान करती है।

अर्थ

यह आरती माँ सरस्वती की शुद्धि, बुद्धि और विद्या प्रदान करने वाली महिमा का वर्णन करती है। इसमें माँ की कृपा से मानसिक और आध्यात्मिक विकास की प्रार्थना की गई है।

लाभ

  • बुद्धि और विद्या में वृद्धि
  • मानसिक शांति और ध्यान की क्षमता
  • धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति
  • सफलता और सकारात्मकता जीवन में

महत्व

यह आरती मुख्य रूप से बसंत पंचमी और शिक्षा से जुड़ी विधियों में गायी जाती है। इसे करने से माँ सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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