संकटा माता आरती
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जय जय संकटा भवानी,
करहूँ आरती तेरी ।
शरण पड़ी हूँ तेरी माता,
अरज सुनहूँ अब मेरी ॥
॥ जय जय संकटा भवानी.. ॥
नहिं कोऊ तुम समान जग दाता,
सुर-नर-मुनि सब तेरी ।
कष्ट निवारण करहु हमारा,
लवहु तनिक न देरी ॥
॥ जय जय संकटा भवानी.. ॥
काम-क्रोध अरु लोभन के वश
पापही किया घनेरी ।
सो अपराधन उर में आनहु,
छमहु भूल बहु मेरी ॥
॥ जय जय संकटा भवानी.. ॥
हरहु सकल संताप हृदय का,
ममता मोह निबेरी ।
सिंहासन पर आज बिराजें,
चँवर धुरै सिर छत्र-छतेरी .
॥ जय जय संकटा भवानी.. ॥
खप्पर, खड्ग हाथ में धरे,
वह शोभा नहिं कहत बनेरी ।
ब्रह्मादिक सुर पार न पाये,
हारि थके हिय हेरी ॥
॥ जय जय संकटा भवानी.. ॥
असुरन्ह का वध किन्हा,
प्रकटेउ अमत दिलेरी ।
संतन को सुख दियो सदा ही,
टेर सुनत नहिं कियो अबेरी ॥
॥ जय जय संकटा भवानी.. ॥
गावत गुन-गुन निज हो तेरी,
बजत दुन्दुभि भेरी ।
अस निज जानि शरण में आयूँ,
तेहि कर फल नहिं कहत बनेरी ॥
॥ जय जय संकटा भवानी.. ॥
जय जय संकटा भवानी,
करहूँ आरती तेरी ।
भव बंधन में सो नहिं आवै,
निशिदिन ध्यान धरीरी ॥
जय जय संकटा भवानी,
करहूँ आरती तेरी ।
शरण पड़ी हूँ तेरी माता,
अरज सुनहूँ अब मेरी ॥
संकटा माता आरती के बारे में
संकटा माता की आरती माँ संकटा भवानी की महिमा का गुणगान करती है, जो भक्तों के जीवन से सभी संकट और कठिनाइयाँ दूर करती हैं। यह आरती भक्तों को मनोवैज्ञानिक शांति, जीवन में सफलता और समृद्धि प्रदान करती है।
अर्थ
यह आरती माँ संकटा की करुणा और शक्तिशाली स्वरूप का वर्णन करती है, जो भक्तों के पापों और संकटों को दूर कर उन्हें शांति और सफलता प्रदान करती हैं। यह आरती भक्तों को माँ की ममता और सुरक्षा की अनुभूति कराती है।
लाभ
- सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति
- मानसिक शांति और आत्मबल
- जीवन में खुशहाली और समृद्धि
- माँ की विशेष कृपा और रक्षा
महत्व
संकटा माता की आरती विशेष रूप से संकट मोचन के लिए की जाती है। इसका नियमित पाठ भक्तों को जीवन की कठिनाइयों से उबारता है और माँ की कृपा प्राप्ति में सहायक होता है।