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रघुवर श्री रामचंद्र जी

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आरती कीजै श्री रघुबरजी की।
सत चित आनंद शिव सुंदर की॥

दशरथ-तनय कौशिला-नंदन।
सुर-मुनि-रक्षक दैत्य-निकंधन॥

अनुगत-भगक्त भगक्त-उर-चंदन।
मरियादा-पुरुषोत्तम वर की॥

निर्गुण-सगुण अरूप-रूपनिधि।
सकल लोक-वंधित विभिन्न विधि॥

हरण शोक-भय, दायक सब सिधि।
मायारहित दिव्य नर-वर की॥

जानकीपति सुराधिपति जगपति।
अखिल लोक पालक त्रिलोक गति॥

विश्ववंत अनवद्य अमित-मति।
एकमात्र गति सचराचर की॥

शरणागत वत्सल व्रतधारी।
भगक्त-कल्पतरु-वर असुरारी॥

नाम लेथ जग पावनकारी।
वानर सखा दीन-दुख हर की॥

रघुवर श्री रामचंद्र जी के बारे में

रघुवर श्री रामचन्द्र जी ईश्वर विष्णु के अवतार हैं जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। उनकी आरती उनके आदर्श जीवन, धर्म पालन और दुष्टों का संहार करने के कार्यों का स्तवन करती है। यह आरती भक्तों को भक्ति, मानसिक शांति और जीवन की सफलताओं का आशीर्वाद देती है।

अर्थ

इस आरती में राम जी की बाल्य से लेकर उनके वनवास, रावण वध तक की कथाओं का वर्णन है जो मर्यादा, साहस और दानवीयता का संदेश देती हैं। यह आरती भक्ति मार्ग पर चलने वाले भक्तों के लिए प्रेरणा स्रोत है।

लाभ

  • धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति
  • जीवन में साहस और स्थिरता
  • परिवार में सुख और सौभाग्य
  • भय और संकटों से मुक्ति

महत्व

यह आरती विशेष रूप से राम नवमी और अन्य धार्मिक अवसरों पर पाठ की जाती है। इसकी नियमित पाठ से भक्तों को भगवान राम की विशेष कृपा और संरक्षण प्राप्त होता है।

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