नरसिंह भगवान आरती
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ॐ जय नरसिंह हरे,
प्रभु जय नरसिंह हरे ।
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,
स्तंभ फाड़ प्रभु,
प्रकटे, जनका ताप हरे ॥
॥ ॐ जय नरसिंह हरे ॥
तुम हो दीन दयाल,
भगतन हितकारी,
प्रभु भगतन हितकारी ।
अद्भुत रूप बनाकर,
अद्भुत रूप बनाकर,
प्रकटे भय हारी ॥
सबके हृदय विदारण,
दुस्यु जियो मारी,
प्रभु दुस्यु जियो मारी ।
दास जान आपनाओ,
दास जान आपनाओ,
जनपर कृपा करी ॥
॥ ॐ जय नरसिंह हरे ॥
ब्रह्मा करत आरती,
माला पहिनावे,
प्रभु माला पहिनावे ।
शिवजी जय जय कहकर,
पुष्पन बरसावे ॥
॥ ॐ जय नरसिंह हरे ॥
नरसिंह भगवान आरती के बारे में
नरसिंह भगवान की आरती भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की स्तुति है, जो भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए आये थे। यह आरती उनकी अद्भुत शक्ति, साहस और भक्तों के प्रति करुणा का वर्णन करती है।
अर्थ
आरती में नरसिंह भगवान के स्तम्भ फाड़ने, हिरण्यकशिपु वध करने और भक्तों को संकटों से मुक्ति देने जैसे अद्भुत कार्यों का वर्णन है। यह आरती भक्तों को भयमुक्ति और मन की शांति प्रदान करती है।
लाभ
- संकटों से मुक्ति और भय का नाश
- आध्यात्मिक शांति और मन की शुद्धि
- भक्ति और आस्था में वृद्धि
- जीवन में सफलता और समृद्धि
महत्व
नरसिंह भगवान की आरती विशेष रूप से नरसिंह जयन्ती और अन्य धार्मिक अवसरों पर गाई जाती है। इसे करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।