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माता कालरात्रि की आरती

कालरात्रि जय-जय महाकाली ।
काल के मुँह से बचाने वाली ॥

दुष्ट संहारक नाम तुम्हारा ।
महाचंडी तेरा अवतार ॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
महाकाली है तेरा पसारा ॥

खडग खप्पर रखने वाली ।
दुष्टों का लहू चखने वाली ॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
सब जगह देखूं तेरा नज़ारा ॥

सभी देवता सभी नर-नारी ।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥

रक्तदंत और अन्नपूर्णा ।
कृपा करे तो कोई भी दुख ना ॥

ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
ना कोई ग़म ना संकट भारी ॥

उस पर कभी कष्ट ना आएं ।
महाकाली माँ जिसे बचाए ॥

तू भी भक्त प्रेम से कह ।
कालरात्रि माँ तेरी जय ॥

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