माँ सिद्धिदात्री जी की आरती
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जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि,
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि !!
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम ,
जब ही हाथ सेवक के सर धरती हो तुम !!
तेरी पूजा मैं तो ना कोई विधि है ,
तू जगदंबे दाती तू सर्वसिद्धि है !!
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो ,
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो !!
तू सब काज उसके करती हो पूरे ,
कभी काम उसके रहे ना अधूरे !!
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया ,
रखे जिसके सर पैर मईया अपनी छाया !!
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली ,
जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली !!
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा ,
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा !!
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता ,
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता !!
माँ सिद्धिदात्री जी की आरती के बारे में
माँ सिद्धिदात्री की आरती नवरात्रि की नवमी तिथि पर विशेष रूप से गायी जाती है। देवी को सिद्धियाँ देने वाली, भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करने वाली, और सर्वसिद्धि देने के लिए पूजित किया जाता है। आरती में उनके कृपामय स्वरूप की, जीवन में कठिनाइयों को दूर करने की, और साधना के पूर्ण फल की स्तुति होती है।
अर्थ
आरती में देवी को सभी सिद्धियों का स्रोत माना गया है। उनका स्मरण जीवन को दिव्य शक्ति से भर देता है और साधना को पूर्णता देता है।
लाभ
- सभी साधना में सिद्धि प्राप्त करना
- कठिनाइयों और संकटों का निवारण
- मनोकामनाएँ पूरी होना
- आध्यात्मिक शक्ति व आत्मबल चाहिए
- संतान सुख और परिवार में खुशहाली
महत्व
माँ सिद्धिदात्री की आरती नवरात्रि, हवन, पूजन और सिद्धि प्राप्ति के समय की जाती है। इसका नियमित पाठ साधकों को दिव्यता, चमत्कार और जीवन में विजय देता है।