माँ महागौरी आरती
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महागौरी दया कीजे, जग जननी दया कीजे,
उमा, रमा ब्राह्मणी, अपनी शरण लीजे।
गौर वर्ण अति सोहे, वृषभ की असवारी,
श्वेत वस्त्रों में मैय्या, लागे छवि प्यारी।
महागौरी दया कीजे।
सृष्टि रूप तुम्ही हो, शिव अंगी माता,
भक्त तुम्हारे अगिन, नित प्रतिगुण गाता।
महागौरी दया कीजे।
दक्ष के घर जन्मी तुम, ले अवतार सती,
प्रगति हिमाचल के घर, बन शिव पार्वती।
महागौरी दया कीजे।
नव दुर्गों के मैय्या, आठवां तेरा स्वरूप,
शिव भी मोहित हो गए, देखके तेरा रूप।
महागौरी दया कीजे।
आठवें नवरात्रे को, जो व्रत तेरा करे,
पता प्यार तुम्हारा, भव सिन्धु वो तारे।
महागौरी दया कीजे।
वेद पुराण में महिमा, तेरी मां अपरम्पार,
हम अज्ञानी कैसे, पाएं तुम्हारा प्यार।
महागौरी दया कीजे।
महागौरी महामाया, आरती तेरी गाते,
करुणामयी दया कीजे, निशिदिन तुझे ध्याते।
महागौरी दया कीजे।
शिव शक्ति महागौरी, चरण शरण लीजे,
बालक जान के अपना, हमपे दया कीजे।
महागौरी दया कीजे।
माँ महागौरी आरती के बारे में
माँ महागौरी की आरती उनके श्वेत, शांत और करुणामयी स्वरूप की स्तुति है। महागौरी नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर पूजित होती हैं, वे सब पापों का नाश करती हैं और भक्तों को सुख, सौंदर्य, समृद्धि एवं शक्ति देती हैं। आरती में उनके कमलासन, श्वेत वस्त्र, और हाथ में त्रिशूल, डमरू, व वरद मुद्रा का वर्णन है।
अर्थ
आरती में माँ के श्वेत स्वरूप को पवित्रता, तपस्या और जीवन में शुद्धि लाने वाला बताया गया है। उनकी आराधना से पाप दूर होते हैं और जीवन में शुभता आती है।
लाभ
- सुकून, सुंदरता व सम्पत्ति की प्राप्ति
- पापों का नाश और शुभता
- मन और परिवार में शांति
- साहस और शक्ति की वृद्धि
- आध्यात्मिक प्रगति और संतुलन
महत्व
माँ महागौरी की आरती विशेष रूप से नवरात्रि की अष्टमी पर, वरदान की कामना, और परिवार में सुख-शांति हेतु की जाती है। इससे जीवन में शांति, शक्ति और सफलता आती है।