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माँ कुष्मांडा आरती

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माँ आरती तेरी गाते,
मैया आरती तेरी गाते।
कुष्मांडा महामाया,
हम तुमको ध्याते।

माँ आरती तेरी गाते।

हे जगदम्बा दयामयी,
आदि स्वरूपा माँ।
देव, ऋषि, मुनि, ज्ञानी,
गुण तेरे गाते।

माँ आरती तेरी गाते।

कर ब्रह्माण्ड की रचना,
कुष्मांडा कहलाए।
वेद पुराण भवानी,
सब यही बतलाते।

माँ आरती तेरी गाते।

सूर्य लोक निवासिनी,
तुमको कोटि प्रणाम।
सम्मुख तेरे पाप और,
दोष न टिक पाते।

माँ आरती तेरी गाते।

अष्ट भुजे माँ शक्ति,
सिंह वाहिनी है तू।
भव सिन्धु से तरते,
दर्शन जो पाते।

माँ आरती तेरी गाते।

अष्ट सिद्धि नौ निधियां,
हाथ तेरे माता।
पा जाते हैं सहज ही,
जो तुमको ध्याते।

माँ आरती तेरी गाते।

शास्त्र विधि से विधिभत,
जो पूजन करते।
आदि शक्ति जग जननी,
तेरी दया पाते।
माँ आरती तेरी गाते।

नव दुर्गों में मैय्या,
चौथा स्थान तेरा।
चौथे नवरात्रे को,
भक्त तुझे ध्याते।

माँ आरती तेरी गाते।

आधि व्याधि सब हरके,
सुख समृद्धि दो।
हे जगदम्बा भवानी,
इतनी दया चाहते।

माँ आरती तेरी गाते।

कुष्मांडा जी की आरती,
जो कोई गावे।
कहत शिवानंद स्वामी,
मनवांछित फल पावे।

माँ आरती तेरी गाते।

माँ कुष्मांडा आरती के बारे में

माँ कूष्मांडा आरती माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप की महिमा करती है। वे जगत की सृष्टि की कुम्भधारिणी देवी हैं, जिनके रूप में जगत की रचना और कल्याण सर्वाधिक माना जाता है। आरती उनके वैभव, ऊर्जा और प्रकाश के स्त्रोत के रूप में वर्णन एवं स्तुति करती है।

अर्थ

इस आरती का अर्थ है माँ कूष्मांडा के प्रकाश, ऊर्जा और शक्ति से जीवन में नकारात्मकता दूर होकर उजाला, शांति और समृद्धि आती है। वे खल निज़ामों का नाश करती हैं और भक्तों के लिए सुख व संजीवन का स्रोत हैं।

लाभ

  • जीवन में उजाला और शांति
  • संकटों व नकारात्मक शक्तियों का नाश
  • आरोग्य, समृद्धि और सुख
  • आध्यात्मिक विकास और शक्ति
  • स्वास्थ्य और मानसिक स्थिरता

महत्व

नवरात्रि के पहले दिन माँ कूष्मांडा की आरती विशेष रूप से की जाती है। इससे जीवन में नई ऊर्जा संचारित होती है और आध्यात्मिक जागृति होती है।

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