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माँ अन्नपूर्णा आरती

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बारम्बार प्रणाम,
मैया बाम्बार प्रणाम ।
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके,
कहाँ उसे विश्राम ।
अन्नपूर्णा देवी नम तिहारो,
लेत होट सब काम॥

बारम्बार प्रणाम,
मैया बाम्बार प्रणाम ।

प्रलय युगांतर और जन्मांतर,
कालांतर तक नाम ।
सुर सुरों की रचना क़ार्ती,
कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥

बारम्बार प्रणाम,
मैया बाम्बार प्रणाम ।

चूमाही चरण चतुर्थ चतु्रानन,
चारु चक्रधर श्याम ।
चन्द्रचूड चन्द्रानन चाकर,
शोभा लाखाही ललाम ॥

बारम्बार प्रणाम,
मैया बाम्बार प्रणाम ।

देवी देव! दयनीय दशा में,
दया-दया तब नाम ।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल,
शरण रूप तब धाम ॥

बारम्बार प्रणाम,
मैया बाम्बार प्रणाम ।

श्रीन, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐं विद्या,
श्री क्लीं कमला कम ।
कान्ति, भ्रान्तिमयी, कान्ति शांतिमयी,
वर दे तू निष्काम ॥

बारम्बार प्रणाम,
मैया बाम्बार प्रणाम ।

माँ अन्नपूर्णा आरती के बारे में

माँ अन्नपूर्णा, जिन्हें अन्नदात्री माना जाता है, सभी जीवों को भोजन प्रदान करने वाली माँ हैं। उनकी आरती भक्तों की सम्पूर्ण समृद्धि, संरक्षण और सुख-शांति की प्रार्थना है।

अर्थ

इस आरती में माँ अन्नपूर्णा की महिमा का वर्णन है जो अन्न की अधिष्ठात्री हैं और पराक्रमी शक्ति के स्वरूप हैं। यह आरती भोजन की महत्ता और माँ की कृपा से घर-आँगन में खुशहाली व सुख-समृद्धि के लिए है।

लाभ

  • भोजन की कमी से मुक्ति
  • आर्थिक स्थिरता और समृद्धि
  • शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य में वृद्धि
  • परिवार में सुख-शांति और सौहार्द

महत्व

माँ अन्नपूर्णा की आरती विशेषकर भोजन और अन्न की पूजा के दौरान, नवरात्रि और अन्य धार्मिक अवसरों पर गाई जाती है। इससे भक्तों को माँ की विशेष कृपा और जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है।

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