जय सद्गुरु स्वामी आरती
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जय सद्गुरु स्वामी, प्रभु जय सद्गुरु स्वामी,
सहजानंद दयालु,
सहजानंद दयालु, बलवंत बाहुमनी।
जय सद्गुरु स्वामी…
चरण सरोज ताम्र वंदू करजोडी,
प्रभु वंदू करजोडी,
चरण शीश धृतिथी, दुःख तोय।
जय सद्गुरु स्वामी…
नारायणभक्त द्विजकुल तनु धरि,
प्रभु द्विजकुल तनु धरि,
परमार पति उदधि, अगणित नाराणारी।
जय सद्गुरु स्वामी…
नित्य नित्य नौतम लीला,
कर्त अविनाशी,
प्रभु कर्त अविनाशी,
असत तीर्थ चरण, कोटि गाय काशी।
जय सद्गुरु स्वामी…पुरुषोत्तम प्रगटानु, जय दर्शन करशे,
प्रभु जय दर्शन करशे,
काण कर्मथी छथि, कुंभ सहित तरसे।
जय सद्गुरु स्वामी…
आ अवसर करुणानिधि,
करुणा बहु कीधी,
वाही करुणा बहु कीधी,
मुक्तानंद कहे मुक्ति, सुगम करी सिद्धि।
जय सद्गुरु स्वामी…
जय सद्गुरु स्वामी, प्रभु जय सद्गुरु स्वामी,
सहजानंद दयालु,
सहजानंद दयालु, बलवंत बाहुमनी।
जय सद्गुरु स्वामी…
जय सद्गुरु स्वामी आरती के बारे में
जय सद्गुरु स्वामी आरती श्री स्वामीनारायण संप्रदाय के प्रतिदिन पूजा अनुष्ठान का अभिन्न अंग है। यह आरती भगवान सहजानंद स्वामी की करूणामयी, दयालु और सर्वशक्तिमान स्वरूप की महिमा करती है। आरती में उनके पदचिन्हों को नमन, भक्तों के दुःखों का हरण, और सभी जीवों के कल्याण के लिए किए गए कार्यों का विस्तार से वर्णन है।
अर्थ
इस आरती का भाव भक्तों से सत्य, प्रेम और करुणा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देना है। इसमें सद्गुरु स्वामी के चरणों की वंदना और उनके आशीर्वाद से गोत्र, परिवार तथा संसार के दुखों से मुक्ति का संदेश है। आरती, जीवन में धर्म, भक्ति और सदाचरण की महत्ता को रेखांकित करती है।
लाभ
- मानसिक और पारिवारिक शांति
- संकटों और दुःखों से मुक्ति
- धर्म और भक्ति में वृद्धि
- सद्गुणों का विकास और आध्यात्मिक प्रगति
- सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति
- जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति
महत्व
जय सद्गुरु स्वामी आरती प्रतिदिन मंदिरों और घरों में प्रातः एवं संध्या के समय गाई जाती है। यह आरती केवल भक्ति का साधन नहीं, बल्कि भक्तों के आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में अद्भुत परिवर्तन लाने का माध्यम भी है। विशेष पर्वों, जयंतियों तथा सामूहिक आराधना में इसका पाठ अत्यधिक शुभ और लाभकारी माना जाता है।