जय जय तुलसी माता
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जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥
॥जय जय तुलसी माता...॥
सब युगों के ऊपर, सब लोगों के ऊपर।
राज से रक्षा करके, सबकी भव त्राता॥
॥जय जय तुलसी माता...॥
बातु पुत्री है श्यामा, सुर बल्लि है ग्राम्य।
विष्णु प्रिय जो नार तुमको सेवें, सो नार तर जाता॥
॥जय जय तुलसी माता...॥
हरी के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वन्दित।
पापित जानों की तारिणी, तुम हो विख्याता॥
॥जय जय तुलसी माता...॥
लेकर जनम विधान में, आई दिव्य भवन में।
मानवलोक तुमही से, सुख -संपत्ति पाता॥
॥जय जय तुलसी माता...॥
हरी को तुम अति प्यारी, श्याम वरन कुमारी।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता॥
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता॥
जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥
जय जय तुलसी माता के बारे में
तुलसी माता हिन्दू धर्म में एक पवित्र और अलौकिक मानी जाती हैं, जिन्हें विष्णु भगवान की पत्नी और लक्ष्मी देवी का अवतार माना जाता है। उनकी आरती श्रद्धा और भक्ति की अभिव्यक्ति है।
अर्थ
इस आरती में तुलसी माता की पवित्रता, विष्णु भगवान के प्रति उनकी समर्पित भक्ति और उनके द्वारा भक्तों को दी जाने वाली शांति और समृद्धि का वर्णन है।
लाभ
- मन और वातावरण की शुद्धि
- पापों का नाश और आध्यात्मिक शांति
- सुख-शांति और समृद्धि का आगमन
- धार्मिक और पारिवारिक विश्वसनीयता
महत्व
यह आरती तुलसी पौधे की पूजा, तुलसी विवाह और कार्तिक मास में विशेष तौर पर गाई जाती है। इससे तुलसी माता की विशेष कृपा और भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।