गुरु नानक आरती
गगन मे थालु रवि चंदु दीपक
बने तारिका मंडल जनक मोती ॥
धूपमल अनिलो पवनु चवरो करे
सगल बनराइ फूलंत जोती ॥
कैसी आरती होइ भव खंडना तेरी आरती
अनहता शब्द बाजत भेरी रहाउ ॥
सहस तव नैन नन नैन है तोहि कउ
सहस मूरति नना एक तोही ॥
सहस पद विमल नन एक पद गंध बिनु
सहस तव गंध इव चलत मोही ॥
सभ महि जोति जोति है सोई
तिस के चनणि सभ महि चननु होइ ॥
गुर साखी जोति परगटु होइ
जो तिसु भावै सु आरती होइ ॥
हरि चरण कमल मकरंद लोभित मनो
अनदिनों मोहि आही पिआसा ॥
क्रिपा जलु देहि नानक सारिंग
कउ होइ जा ते तेरै नाइ वासा ॥
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