चंद्रघंटा माता की आरती
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जय माँ चंद्रघंटा सुख धाम ।
पूर्ण कीज्जो मेरे सभी काम ।
चंद्र समान तुम शीतल दाती ।
चंद्र तेज किरणों में समाती ।
क्रोध को शांत करने वाली ।
मीठे बोल सिखाने वाली ।
मन की मालक मन भाती हो ।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो ।
सुंदर भाव को लाने वाली ।
हर संकट में बचाने वाली ।
हर बुधवार जो तुझे ध्याए ।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाए ।
मूर्ति चंद्र आकार बनाए ।
सन्मुख घी की ज्योति जलाए ।
शीश झुका कहे मन की बाता ।
पूर्ण आस करो जगदाता ।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा ।
करणीतका में मान तुम्हारा ।
नाम तेरा रटू महारानी ।
भक्त की रक्षा करो भवानी ।
चंद्रघंटा माता की आरती के बारे में
चंद्रघंटा माता की आरती उनकी सौंदर्य, शक्ति और युद्धकला के समन्वय की स्तुति करती है। देवी अपने सर पर चंद्रमा की घंटी रखती हैं, जो भय को दूर भगाती है और भक्तों में साहस जगाती है। आरती में उनकी तीन आँखों, दस भुजाओं और सिंह पर सवार होने, तथा भक्तों पर कृपा करने का विस्तार से वर्णन है।
अर्थ
इस आरती का तात्पर्य है कि चंद्रघंटा देवी भय दूर करने वाली हैं जो अपने भक्तों को साहस और मानसिक शक्ति प्रदान करती हैं। वे संकटों से रक्षा करती हैं और समाज में शांति लाती हैं।
लाभ
- संकटों और भय से मुक्ति
- साहस, शक्ति और दृढ़ता का विकास
- परिवार और समाज में शांति व समृद्धि
- आध्यात्मिक जागरूकता और सुरक्षा
- कुष्टि और रोगों से रक्षा
महत्व
चंद्रघंटा माता की आरती नवरात्रि के तीसरे दिन विशेष रूप से की जाती है। यह आरती भक्तों को संकटों से पार पाने का साहस और माँ की शक्ति का आभास कराती है।