ब्रह्मा जी आरती
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पितु मातु सहायक स्वामी सखा,
तुम ही एक नाथ हमारे हो।
जिनके कुछ और आधार नहीं,
तिनके तुम ही रखवारे हो।
सब भांति सदा सुखदायक हो,
दुःख निर्गुण नाशन हरे हो।
प्रतिपाल करे सारे जग को,
अतिशय करुणा उर धरे हो।
भूल गए हैं हम तो तुमको,
तुम तो हमारी सुधि नहीं बिसारे हो।
उपकरण को कुछ अंत नहीं,
छिन्न ही छिन्न जो विस्तारे हो।
महाराज महा महिमा तुम्हारी,
मुझसे विरले बुधावरे हो।
शुभ शांति निकेतन प्रेम निधि,
मन मंदिर के उजियारे हो।
इस जीवन के तुम ही जीवन हो,
इन प्राणों के तुम प्यारे हो में।
तुम सों प्रभु पाए “कमल” हरि,
केहि के अब और सहारे हो।
ब्रह्मा जी आरती के बारे में
ब्रह्मा जी आरती भगवान ब्रह्मा, सृष्टि के कर्ता और चार वेदों के ज्ञानदाता की स्तुति करती है। यह आरती उनकी सृष्टि चेतना, व्यवहारिक ज्ञान और ब्रह्मांड के निर्माण की महत्ता को दिखाती है। आरती में ब्रह्मा के चार मुखों, वेदों के ज्ञान, और उनकी दिव्य शक्ति का विस्तार से वर्णन होता है।
अर्थ
इस आरती का भाव है कि ब्रह्मा जी के आशीर्वाद से ज्ञान, बुद्धि और सृष्टि के रहस्यों की समझ मिलती है। यह आरती जीवन में सृजनात्मकता, समृद्धि और आध्यात्म की प्राप्ति का मार्ग खोलती है।
लाभ
- ज्ञान और बुद्धि की वृद्धि
- रचनात्मकता और समृद्धि
- धार्मिक और आध्यात्मिक विकास
- संकट और अज्ञान का नाश
- सुख-शांति और मनोदशा में सुधार
महत्व
ब्रह्माजी की आरती ब्रह्मांड के सृष्टिकर्ता के रूप में धार्मिक अनुष्ठानों और वेदों की पूजा के समय की जाती है। यह आरती जीवन में नए सृजन और उद्यम की शुरुआत को शुभ बनाती है।