आओ भोग लगाओ मेरे मोहन: भोग आरती
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आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन…
भिलाने के बैर सुदामा के तंदूल
रुचि रुचि भोग लगाओ प्यारे मोहन…
दुर्योधन को मेवा त्यागो
सागा विदुर घर खाओ प्यारे मोहन…
जो कोई तुम्हारा भोग लगाए
सुख सम्पत्ति घर आए प्यारे मोहन…
ऐसा भोग लगाओ प्यारे मोहन
सब अमृत हो जाए प्यारे मोहन…
जो कोई ऐसा भोग को खाए
सो तेरा हो जाए प्यारे मोहन…
आओ भोग लगाओ मेरे मोहन: भोग आरती के बारे में
आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन भोग आरती भगवान कृष्ण को प्रेम और भक्ति के साथ भोग अर्पित करने की प्रार्थना है। यह आरती भक्तों को भगवान के प्रति अपनी सेवा और समर्पण व्यक्त करने का माध्यम है।
अर्थ
इस आरती में भक्त भगवान कृष्ण को प्रेमपूर्वक भोग लगाते हैं, जिसमें दुर्योधन के मेवा त्यागने और विदुर के घर सादगी से भोजन ग्रहण करने का उल्लेख है। यह भक्ति और सच्चे प्रेम का प्रतीक है।
लाभ
- भगवान के प्रति गहरा प्रेम और समर्पण
- संकटों से मुक्ति और जीवन में सुख-शांति
- भारतीय भक्ति संगीत का आनंद
- आध्यात्मिक उन्नति और आशीर्वाद
महत्व
भोग आरती मंदिरों में भगवान को भोजन अर्पित करने के दौरान गाई जाती है। यह धार्मिक अनुष्ठान भक्तों को भगवान की कृपा और संरक्षण प्राप्त करने में मदद करता है।